पाकिस्तान

Pakistan: यौन पीड़ितों के लिए बड़ी जीत, कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया

HIGHLIGHTS

Pakistan Stop Two Finger Test: पाकिस्तानी कोर्ट ने यौन अपराध पीड़ितों के लिए होने वाला टू-फिंगर टेस्ट को अवैध व असंवैधानिक करार दिया है।
लाहौर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस आयशा मलिक ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

नई दिल्लीJan 04, 2021 / 09:49 pm

Anil Kumar

Pakistan: Lahore High Court Declares Two-Finger Test Against Sexuals Victims Is Unconstitutional

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में महिलाओं ( Pakistan Woman ) के साथ हो रहे यौन अपराधों को कम करने को लेकर इमरान सरकार ने सख्त कानून को मंजूरी थी और अब पाकिस्तानी अदालत ने एक और ऐतिहासिक निर्णय दिया है। पाकिस्तानी कोर्ट ने यौन अपराध पीड़ितों के लिए होने वाला टू-फिंगर टेस्ट ( Two Finger Test ) को अवैध व असंवैधानिक करार दिया है।

इस मामले में पिछले साल एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसपर सुनवाई करते हुए लाहौर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस आयशा मलिक ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। काफी लंबे समय से इस रुढ़िवादी प्रथा का सामाजिक आंदोलनों के जरिए लगातार विरोध किया जा रहा था।

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बता दें कि इससे पहले पिछले महीने इमरान खान की सरकार ने बलात्कार के दोषियों को इंजेक्शन देकर बधिया करने (नपुंसक बनाने) के कानून को मंजूरी दी है। इमरान सरकार ने देश में बढ़ते रेप के मामलों के खिलाफ लगातार उठ रही आवाजों के मद्देनजर यह कदम उठाया है।

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टू-फिंगर टेस्ट के खिलाफ याचिका दायर

आपको बता दें कि पिछले साल टू फिंगर टेस्ट के खिलाफ कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थी। एक याचिका पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज नेशनल असेंबली के सदस्य ने दायर की थी, जबकि दूसरी याचिका महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों और अधिवक्ताओं के एक समूह की ओर से दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि टू-फिंगर टेस्ट ‘अपमानजनक, अमानवीय और महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है’।

क्या होता है टू-फिंगर टेस्ट?

आपको बता दें कि टू-फिंगर टेस्ट में महिला के प्राइवेट पार्टी के साइज और इलास्टिसिटी का अंदाजा लगाया जाता है। इसके जरिए डॉक्टर रेप पीड़िता की सेक्शुअल हिस्ट्री का पता लगाने की कोशिश करते हैं।

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आम तौर पर हमारे समाज में यदि महिला अविवाहित है और सेक्शुअली ऐक्टिव है तो इसे नैतिक रूप से गलत माना जाता है। टू-फिंगर टेस्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘वर्जिनिटी टेस्ट की कोई वैज्ञानिक या मेडिकल जरूरत नहीं होती है लेकिन यौन हिंसा के मामलों में मेडिकल प्रोटोकॉल के नाम पर इसे किया जाता रहा है। यह शर्मिंदा करने वाला काम है जिसे पीड़ित पर आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बजाय आरोपी पर ध्यान देने के।’

बता दें कि भारत और बांग्लादेश समेत दुनिया के कई देशों में वर्जिनिटी टेस्ट बैन है, लेकिन पाकिस्तान में यह जारी था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, यह टेस्ट अपने-आप में अनैतिक है। रेप के केस में हाइमन की जांच का ही औचित्य नहीं होना चाहिए। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन तो है ही, इस टेस्ट की वजह से न सिर्फ पीड़िता को शारीरिक बल्कि मानसिक यातना का सामना भी करना पड़ता है।

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