वर्ल्ड एथलेटिक्स डे विशेषः ट्रेनिंग लेने तक के नहीं थे पैसे, बस Youtube देखा और छू लिया शिखर

सात मई को मनाया जाता है वर्ल्ड एथलेटिक्स डे।
संसाधनों के अभाव से नहीं टूटी नीरज की हिम्मत।
21 साल की उम्र में ही हासिल कर चुके हैं कई बड़ी उपलब्धियां।

नई दिल्लीः सात मई को वर्ल्ड एथलेटिक्स डे ( World Athletics Day ) मनाया जाता है। इस खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं एक खास एथलीट के जीवन से जुड़ी संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी।

यहां हम बात कर रहे हैं देश के सबसे कामयाब और चर्चित जेवलिन थ्रोअर ( भाला फेंक ) नीरज चोपड़ा ( neeraj chopra ) की। आज हम सभी नीरज की जिस सफलता को देखते हैं उसके पीछे उनकी सालों की मेहनत और इस खेल के प्रति उनका समर्पण है।

भाला खरीदने के लिए भी नहीं थे पैसे

एक समय था जब नीरज के पास खेल संसाधन ( भाला ) तक खरीदने के पैसे थे। ट्रेनिंग लेना तो दूर की बात थी। एक उच्च क्वालिटी का भाला लगभग सवा से डेढ़ लाख रुपए में आता है। जाहिर है पैसों की तंगी के कारण यह खरीदना तो संभव नहीं था लेकिन नीरज अपना सपना कैसे अधूरा छोड़ते। उन्होंने सात हजार रुपए का सस्ता भाला खरीदा और उसी से अभ्यास किया।

पैसों की कमी के चलते नहीं ले सके विधिवत ट्रेनिंग

जैसा कि नीरज चोपड़ा की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे अपने खेल पर पैसे खर्च कर सके। जैसे-तैसे उन्होंने भाला तो खरीद लिया लेकिन अब समस्या ये थी कि वे ट्रेनिंग किससे लें और कैसे लें। लेकिन वो कहते हैं न जहां चाह होती है वहां रास्ते भी निकल ही आते हैं।

 

आपको जानकर हैरानी होगी कि नीरज ने कहीं से भी विधिवत ट्रेनिंग नहीं ली है। उन्होंने यू ट्यूब ( Youtube ) पर भाला फेंकने की कला सीखी और उसी को देखकर उन्होंने अभ्यास करना शुरू किया। नीरज यू ट्यूब पर वीडियो देखकर ही घंटों अभ्यास किया करते थे।

नीरज बिना किसी मार्गदर्शक के सात से आठ घंटे तक अभ्यास किया करते थे वो भी नियमित रूप से और स्वेच्छा से। यहीं से उनका सफर शुरू हुआ और आगे बढ़ते-बढ़ते वे देश के सबसे कामयाब जेवलिन थ्रोअर बन गए।

नीरज की उपलब्धियां

नीरज की उम्र महज 21 साल की है और इतनी कम उम्र में ही वह काफी कुछ हासिल कर चुके हैं। इस खास मौके पर हम नीरज की खास उपलब्धियों के बारे में आपको बता रहे हैं। नीरज की सफलता की कहानी जूनियर वर्ग से ही शुरू हो गई थी।

नीरज ने अंडर-16, अंडर-18 और अंडर-20 की मीट न केवल जीती बल्कि नेशनल रिकॉर्ड भी कायम किए। उन्होंने 2016 वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में (86.48 मी) रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता था।

इस प्रदर्शन के बाद नेशनल लेवल पर उनकी पहचान कायम हुई। हालांकि इसली कहानी अभी बाकि थी, इसके बाद उनका चयन इंडिया कैंप के लिए हुआ। पोलैंड में आयोजित हुए अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया।

इसके अलावा दोहा डायमंड लीग में नीरज ने 87.43 मीटर के साथ नेशनल रिकॉर्ड बनाया था, हालांकि वे मेडल जीतने से चूक गए थे और उन्हें चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। नीरज ने सोटेविले एथलेटिक्स मीट में 85.17 मीटर की दूरी नापकर स्वर्ण पदक जीता।

ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में पिछले साल आयोजित हुए 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में नीरज ने गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद एशियन गेम्स में भी उन्होंने इसी सफलता को दोहराते हुए अपनी श्रेष्ठता साबित की।

 

दो दिन पूर्व ही नीरज को कोहनी की सर्जरी करवानी पड़ी है। पिछले महिने उन्हें अभ्यास के दौरान चोट लग गई थी, तब उन्हें चोट की गंभीरता का अंदाजा नहीं था। दर्द अधिक बढ़ने पर नीरज को सर्जरी करवानी पड़ी।

दुखद खबर ये है कि सर्जरी के कारण नीरज को रिकवर होने में कुछ समय लगेगा जिसके चलते वे कुछ इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भाग नहीं ले पाएंगे। हम कामना करते हैं कि नीरज जल्द से जल्द स्वस्थ हों और लगातार देख को अपने प्रदर्शन से गौरवान्वित महसूस करवाते रहें।

 

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.