बांस के धनुष से करती थी प्रैक्टिस
कोमोलिका के पिता का कहना है कि जब कोमालिका छोटी थी तो घर में पड़ी लकड़ी को धनुष बनाकर उससे खेलती थी। तीरंदाजी के प्रति कोमालिका का जुनून बढ़ता गया। ऐसे में पिता ने उसे एक बांस का धनुष खरीदकर दिया जो 5000 रुपए में आया था। कोमालिका उस बांस के धनुष से ही प्रतियोगिता की तैयारी करती थी।
कोमोलिका के पिता का कहना है कि जब कोमालिका छोटी थी तो घर में पड़ी लकड़ी को धनुष बनाकर उससे खेलती थी। तीरंदाजी के प्रति कोमालिका का जुनून बढ़ता गया। ऐसे में पिता ने उसे एक बांस का धनुष खरीदकर दिया जो 5000 रुपए में आया था। कोमालिका उस बांस के धनुष से ही प्रतियोगिता की तैयारी करती थी।
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शुरुआत में तो ठीक था लेकिन जब कोमालिका का चयन टाटा आर्चरी अकादमी में हुआ और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की बात सामने आई तो कोमालिका के लिए प्रोफेशनल धनुष चाहिए था। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बेटी के लिए प्रोफेशनल धनुष खरीद सके इसलिए उन्होंने ढाई लाखा रुपए में अपना छोटा सा घर बेचकर बेटी के लिए धनुष खरीदा। मकान बेचने के बाद वे लोग किराए के मकान में रहने चले गए।
शुरुआत में तो ठीक था लेकिन जब कोमालिका का चयन टाटा आर्चरी अकादमी में हुआ और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की बात सामने आई तो कोमालिका के लिए प्रोफेशनल धनुष चाहिए था। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बेटी के लिए प्रोफेशनल धनुष खरीद सके इसलिए उन्होंने ढाई लाखा रुपए में अपना छोटा सा घर बेचकर बेटी के लिए धनुष खरीदा। मकान बेचने के बाद वे लोग किराए के मकान में रहने चले गए।
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कोमालिका की मां ने मीडिया को बताया कि वह खुद बचपन में हॉकी प्लेयर रह चुकी हैं, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका था। अब उन्हें इस बात की खुशी है कि बेटी अपना सपना पूरा कर रही है। वहीं पिता का कहना है कि आगामी समय में उनकी बेटी का ओलंपिक में भी चयन होगा और वह ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतेगी।
कोमालिका की मां ने मीडिया को बताया कि वह खुद बचपन में हॉकी प्लेयर रह चुकी हैं, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका था। अब उन्हें इस बात की खुशी है कि बेटी अपना सपना पूरा कर रही है। वहीं पिता का कहना है कि आगामी समय में उनकी बेटी का ओलंपिक में भी चयन होगा और वह ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतेगी।