टोक्यो आयोजन समिति के प्रमुख योशिरो मोरी और सीईओ तोशिरो मुतो ने कहा था कि नई तारीखों पर खेलों के आयोजन से इसकी लागत काफी बढ़ जाएगी। अनुमान है कि इसकी लागत अरबों डॉलर बढ़ जाएगी और इसका बोझ जापान के करदाताओं पर पड़ेगा।
कोरोना वायरस के कहर के कारण ओलंपिक को एक साल टालने का दबाव जापान पर था। बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका है, जब कोई ओलपिंक तय समय पर नहीं हो पा रहा है। इससे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के कारण 1940 का ओलंपिक रद्द हुआ था। संयोग से वह ओलंपिक भी टोक्यो में ही होना था। यह दूसरी बार है कि जापान में होने वाला ओलंपिक समय पर नहीं हो रहा है।