नई दिल्ली। इतना तो तय था कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जस्टिस लोढा के पैनल की सिफारिशें मानते हुए उन्हें छह माह में लागू करने का आदेश देने के बाद भारीतय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का प्रबंधकीय चेहरा पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा, लेकिन इसकी शुरुआत अभी से होती दिखाई दे रही है। तीन सदस्यीय पैनल के प्रमुख पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस आरएम लोढा ने शुक्रवार को यह स्पष्ट कर दिया कि बीसीसीआई और उससे जुड़े राज्य खेल संघों में 9 साल से ज्यादा समय बिता चुके पदाधिकारी अब आगे किसी चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे। उन्होंने बीसीसीआई और उसके सभी राज्य संघों से एेसे पदाधिकारियों की सूची भी मांगी है जो नौ साल से पद पर बने हुए हैं। जस्टिस लोढा ने एेसे सभी पदाधिकारियों के तीन-तीन साल के तीन टर्न वाले नियम के दायरे में आने की बात कही। उन्होंने बीसीसीआई को ई-मेल भेजकर राज्य संघों के पदाधिकारियों के नाम मांगे हैं। 9 अगस्त को बैठक बोर्ड सूत्रों के अनुसार, सिफारिशों को लागू करने का काम भी शुरू हो गया है। जस्टिस लोढा ने इसके लिए बोर्ड से मीटिंग करने को कहा है। मीटिंग 9 अगस्त को दिल्ली में हो सकती है। इन बडे़ नामों पर गिरेगी गाज शरद पवार – महाराष्ट्र क्रिकेट संघ अनुराग ठाकुर- हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ राजीव शुक्ला- उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ एन. श्रीनिवासन- तमिलनाडु क्रिकेट संघ फारुख अब्दुल्ला- जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ निरंजन शाह- सौराष्ट्र क्रिकेट संघ सीके खन्ना- दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट संघ ब्रजेश पटेल – कर्नाटक स्टेट क्रिकेट संघ राज्य संघों ने पूछा था सवाल उन्होंने सभी राज्य संघों की तरफ से आ रहे सवालों का जवाब देते हुए यह बात स्पष्ट की है। क्रिकेट वेबसाइट ‘क्रिकइंफोÓ के अनुसार, उन्होंने कहा है कि 9 साल से ज्यादा का कार्यकाल लगातार या अलग-अलग समय पर पूरा कर चुके सभी पदाधिकारी उनकी सिफारिशों के तहत दिए गए 3-3 साल के अधिकतम तीन कार्यकाल ही मिलने के नियम के दायरे में आएंगे। टलेगी एजीएम बीसीसीआई और उससे जुड़े राज्य संघों में चुनावी प्रक्रिया पर रोक लग जाने के कारण अब सितंबर में होने वाली बोर्ड की सालाना आम बैठक (एजीएम) के भी टलने के आसार बन गए हैं। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस लोढा को नया सिस्टम बनाने में कम से कम दो महीने लगेंगे। ऐसे में एजीएम समय पर नहीं हो पाएगी। ‘इसमें संदेह नहीं है कि कोई 18 जुलाई से पहले या बाद में राज्य संघों में व्यक्तिगत रूप से 9 साल पदाधिकारी के रूप में पूरा कर चुका है, भले ही वह लगातार रहा हो या अलग-अलग समय पर, वह भी अयोग्य हो जाएगा। – जस्टिस आरएम लोढा, सुधार पैनल प्रमुख