क्यों लगा था भारत पर बैन?
आपको बता दें कि भारत पर ये प्रतिबंध उस वक्त लगा था, जब इसी साल फरवरी में भारत सरकार ने दो पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शूटिंग वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने के लिए वीजा नहीं दिया था।
भारत सरकार ने ये कार्रवाई पुलवामा आतंकी हमले के बाद की थी। उस वक्त IOC ने भारत में किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के आयोजन से इनकार कर दिया था।
भारत को हुआ था ये नुकसान
इसके बाद विश्व कुश्ती ने भारत से जूनियर एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप की मेजबानी छीनी। भारत ने जूनियर डेविस कप और फेड कप की मेजबानी भी गंवाई। टेनिस महासंघ ने हालांकि कहा था कि आर्थिक कारणों से उसने खुद की मेजबानी छोड़ी थी।
इतना ही नहीं आईओसी ने नई दिल्ली निशानेबाजी वर्ल्ड कप से ओलंपिक क्वालीफायर का दर्जा भी वापिस ले लिया था। पिछले साल भारत ने दिल्ली में विश्व महिला चैम्पियनशिप में कोसोवो के मुक्केबाजों को वीजा नहीं दिया था।
खेल मंत्रालय ने लिखा था IOA को पत्र
भारत को फिर से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के मेजबानी मिलने से पहले ही खेल मंत्रालय ने मंगलवार को ही आईओए को पत्र लिखकर कहा था कि वह उन सभी देशों और खिलाड़ियों को भारत में अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की अनुमति देगा जिन्हें आईओसी से मान्यता प्राप्त है।
इस पत्र को आईओए ने आईओसी के पास भेजा, जिस पर आईओसी के कार्यकारी बोर्ड की बैठक हुई और भारत पर से अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी को लेकर लगा प्रतिबंध तुरंत प्रभाव से हटा लिया गया।
आईओसी के ओलंपिक एकता तथा अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) समिति के निदेशक जेम्स मैक्लोड ने पत्र में लिखा है, “हमें आपका 18 जून को 2019 का पत्र मिला, जिसमें भारत सरकार ने सफाई दी है।
आईओसी कार्यकारी बोर्ड ने आज (गुरुवार) को बैठक में स्थिति की समीक्षा की कि ने जो पत्र लिखा है, उसके आधार पर खिलाड़ियों और टीमों से अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
उनका बकायदा सम्मान किया जाएगा, ताकि योग्य खिलाड़ियों, और प्रतिनिधिमंडल को किसी तरह की परेशानी नहीं आए। साथ ही वह देश में कदम रख सके और बिना उस देश के उत्स को देखे, उसे अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने दिया जाएगा।”