एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता : रवि दहिया ने जीता स्वर्ण पदक, बजरंग पूनिया को रजत पदक

महाबली सतपाल के शिष्य रवि दहिया ने 56 किलोग्राम भारवर्ग में जीता स्वर्ग पदक। वहीं बजरंग पूनिया चोट के फाइनल मुकाबला नहीं खेल पाए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा….
 

नई दिल्ली। ओलंपिक में कोटा हासिल कर चुके महाबली सतपाल के शिष्य रवि कुमार ने कजाकिस्तान के अल्माटी में सीनियर एशियाई कुश्ती अपना दबदबा कायम करते हुए 56 किलोग्राम में स्वर्ण पदक जीत लिया है। वहींं 68 क्रिलोग्राम में ओलंपिक में कोटा हासिल कर चुके बजरंग पूनिया ने स्वर्ण पदक जीता है। इसके अलावा भारत प्रतियोगिता में तीन कास्य पदक करण 70 किलोग्राम, नरसिंह यादव 79 क्रिग्रा और सत्यव्रत कादियान 97 किग्रा ने दिलाए। भारत की और से 5 पहलवान मैदान में उतरे और पांचों पहलवानों ने पदक जीते।

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फानइल मुकाबला नहीं खेल पाए थे बजरंग पूनिया
भारत के स्टार खिलाडी बजरंग पूनिया अपना आखिरी मुकाबला नहीं खेल पाए थे और ऐसे में उनके विपक्षी को विजेता घोषित किया गया और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। वहीं रवि दहिया ने 57 क्रिलोग्राम भारवर्ग में अपना खिताब बचाए रखा। उन्न्होंने फाइनल में ईरान के अलीरेजा नोसरातोलाह सरलॉक को 9-4 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

दहिया ने एक साल बाद की शानदार वापसी
लगभग एक वर्ष बाद रवि दहिया ने वापसी की और शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पहले दौर में उज्बेकिस्तान के नोदिरजोन सफरोव को 9-2 से हराया। इसके बाद उन्होंने फलस्तीन के अली एम एम अबुयमैला को 11.0 से हराकर फाइनल में जगह बनाई। बजरंग पूनिया को खास प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ा।

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स्वर्ण जीतने बाधा बनी चोट
बजरंग पूनिया को 65 किलोग्राम भरवर्ग के शुरुआती मुकाबले में कोरिया के योंगसियोग जियोंग पर जीत करने में कोई परेशानी नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने आसानी से मंगोलिया के बिलगुन सरमानदाख को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में बजरंग का सामना अपने चिर प्रतिद्वंदी ताकुतो ओटोगुरो से होना था, लेकिन बजरंग चोट की वजह से फाइनल मुकाबला नहीं खेल पाए। हो सकता अगर वो यह मुकाबला खेलते तो स्वर्ण पदक हासिल कर सकते थे। महाबली सतपाल ने अपने शिष्य रवि के प्रदर्शन से बहुत खुश है। उन्होंने रवि के शानदार प्रदर्शन को लेकर कहा कि उन्हें पूरा विश्वास था कि यह पहलवान टोक्यो ओलंपिक में पदक जीत सकता है।

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