यह अच्छी बात है कि महिलाओं को राजनीति में आगे लाने का रास्ता एक महिला ने ही खोला है। देश के सामने लंबे समय से महिला आरक्षण बिल अटका पड़ा है। कांगे्रस ने एक संकल्प उत्तरप्रदेश में दिखाया है और अब उम्मीदें बढ़ी हैं कि महिलाओं को पूरी तवज्जो देने के लिए दूसरे दल भी आगे आएंगे। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी की जाती हैं, लेकिन जब महिलाओं को उनके अधिकार देने की बात आती है तो सब पीछे हट जाते हैं। जब महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात आई तो सर्वसम्मति नहीं बन पाई, जबकि विधानसभा व लोकसभा में सांसद-विधायकों के भत्तों की बात आती है तो मिनटों में सर्वसम्मति के साथ बिल भी पास हो जाते हैं। ज्यादातर राजनीतिक दलों का चुनावी घोषणा पत्र उठाकर देख लें, महिला आरक्षण बिल पर बड़ी-बड़ी बातें मिलेंगी, लेकिन सभी ने धरातल पर इस बिल को लाने के लिए कोई बड़ी पहल नहीं की है।
लोकसभा में 33 प्रतिशत महिला सांसद चुनकर जाएं, यह सोच, मांग, उम्मीद अब साकार होनी चाहिए। यूपी से उठी चिंगारी भारत की राजनीति की दशा और दिशा बदल सकती है। जरूरत है संकल्प की। सभी राजनीतिक दलों को इस पर एक राय रखते हुए सर्वदलीय बैठक बुलाकर संसद में इस पर मुहर लगाने का काम करना चाहिए। अब इसमें और देर नहीं होनी चाहिए। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है – ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:।’ (सं.पु.)