3.79 लाख करोड़ का कर्ज-
नेता प्रतिपक्ष कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ बुधवार को विधानसभा में बजट पेश होने के बाद मीडिया से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा – ‘जनता को ***** बनाना कांग्रेस का शौक बन गया है। पिछली बार के मुकाबले 16 हजार करोड़ कम पूंजीगत व्यय दिखाया है। 3 लाख 79 हजार करोड़ रुपए का कर्ज राजस्थान पर अभी हो चुका है। कांग्रेस सिर्फ ठगी का धंधा ही करती है। गहलोत केंद्र के अलग-अलग योजनाओं के पैसे से ताली पिटवा रहे हैं। बजट में जादूगरी नहीं चलती। पैसा कहां से आएगा। यह भी बताना होता है। ये घोषणाएं किसी भी कीमत पर पूरी नहीं की जा सकती।’
मात्र 2 हजार करोड़ की कटौती-
मुख्यमंत्री के केन्द्र की ओर से योजनाओं में १४ हजार करोड़ से ज्यादा की कटौती के सवाल पर उन्होंने कहा – वे गलत बोल रहे हैं, केवल 2 हजार करोड़ की कटौती की गई है। डीजल-पेट्रोल की मंहगाई की बात करते हैं, लेकिन पड़ोसी राज्यों से ज्यादा राजस्थान में वैट लगा दिया है। गुजरात और हरियाणा के बराबर भी वैट वसूली करें तो भी जनता को बड़ी राहत मिल जाएगी।
ईआरसीपी पर कोई वादा नहीं-
उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजस्थान की सभाओं में एलान की बात गहलोत झूठ कह रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सिर्फ यही कहा था कि महत्त्वपूर्ण योजना है, इस पर विचार करेंगे। योजना तब बनी थी, जब भाजपा सत्ता में थी। प्रदेश से जलशक्ति मंत्री केन्द्र में हैं, उनसे हम लगातार बात कर रहे हैं।
दो माह में टूट जाएगा भ्रमजाल: राठौड़
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पौने तीन घंटे के बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने जादूगरी का इन्द्रजाल बुना है। २३ हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे के बजट के लिए पैसा कहां से आएगा, इसका जिक्र ही नहीं। लगता है घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने। कृषि बजट अलग से लाने को कहा, कब आएगा, कुछ पता नहीं। पेट्रोल-डीजल में वैट कम नहीं किया गया। तहसील-उप तहसील खोलने के लिए कहा गया है, लेकिन पहले पता कर लेते कि अभी प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के कितने पद खाली पड़े हैं। उप चुनाव वाले क्षेत्रों में महाविद्यालय खोलने के लिए कहा गया है। यह सारी कल्पनाएं हैं। जादू ज्यादा नहीं चलेगा, दो माह में ही भ्रमजाल टूट जाएगा। पिछले दो बजट की घोषणाएं 36 फीसदी ही पूरी हो सकी हैं। उन्होंने कहा कि ये पिछले बजटों में किसानों के राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्ज की माफी के मामले में गलतबयानी करते आ रहे हैं, पर आज तक कर्ज माफ नहीं किया। अब वनटाइम सेटलमेंट के लिए कहा गया है। इसी तरह राज्यपाल पर निशाना साधा गया है, जो संवैधानिक रूप से उचित नहीं।