उद्यमियों को देना होगा प्रोत्साहन

देश के औद्योगिक उत्पादन में 60 प्रतिशत का योगदान करने वाले 6 राज्य कोरोना से ज्यादा प्रभावित् हैं। अर्थव्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति को देखते हुए जानकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वित्त वर्ष 2020-21 में नकारात्मक रहने के कयास लगा रहे हैं.

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कोरोना महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुँचा है। आर्थिक गतिविधियां ठप होने के साथ व्यापार पर निर्भर क्षेत्र जैसे- यात्री विमानन, शिपिंग, होटल, रेस्तरां आदि की गतिविधियाँ ठहर सी गई हैं। अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता के कारण ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर आदि उद्योगों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. देश के औद्योगिक उत्पादन में 60 प्रतिशत का योगदान करने वाले 6 राज्य कोरोना से ज्यादा प्रभावित् हैं। अर्थव्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति को देखते हुए जानकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वित्त वर्ष 2020-21 में नकारात्मक रहने के कयास लगा रहे हैं.

एक अनुमान के अनुसार, कोरोना महामारी के कारण भारत में लगभग 400 मिलियन लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं। देश के 75 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमी (एमएसएमई) लगभग 180 मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं, पर कोरोना महामारी के कारण इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बेरोजगारी बढ़ रही है। रियल एस्टेट भारत में सबसे अधिक रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है, लेकिन निर्माण गतिविधियों के रुकने के कारण निर्माण कार्यों से जुड़े श्रमिकों के लिए आजीविका का संकट पैदा हो गया है।

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत में खुदरा क्षेत्र में लगभग 60 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत या 24 लाख लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं। सूचना और प्रौद्योगिकी और मीडिया सहित अन्य क्षेत्रों में कर्मचारियों की बड़ी संख्या में छंटनी की जा रही है।

मौजूदा संकट को दूर करने के लिए बहु-आयामी कदम उठाने की जरूरत है। सरकार ने हाल ही में वंचितों, श्रमिकों, कारोबारियों, कॉर्पोरेटस, किसानों को राहत देने के लिए बीस लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है और इसका एक कुछ हिस्सा लाभार्थियों के बीच वितरित भी किया गया है, लेकिन इस राहत को काफी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि इसमें से लगभग 8 लाख करोड़ रूपये बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से ऋण के रूप में देने के प्रावधान किये गये हैं, जबकि यह लाभ श्रमिकों, बंचित तबकों और कारोबारियों को सीधे देने की जरुरत थी. आज रोजगार और दो वक्त का भोजन उपलब्ध नहीं होने के कारण श्रमिक लगातार अपने घर लौट रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार राज्यों से लगभग 1 करोड़ प्रवासी श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं.

हालाँकि, इस प्रतिकूल स्थिति में कुछ ऐसे भी कारोबारी हैं, जो बहुत ही उम्दा काम कर रहे हैं। कुछ ने परम्परागत कारोबार की जगह आपदा से जुड़े मास्क बनाने व सेनेटाइजर बनाने का काम शुरू कर दिया।
एक अन्य कंपनी जो टिश्यू पेपर, किचन रोल, एल्युमिनियम फॉयल आदि के निर्माण का कारोबार कर रही थी उसने मार्च में देशव्यापी पूर्णबन्दी लागू होने के कारण वैकल्पिक कारोबार के रूप में हैंड सैनिटाइजर और फेस मास्क बनाने का विकल्प चुना।

फ़िलहाल, अधिकांश श्रमिक बेरोजगारी और भूख की वजह से अपने गाँव वापिस चले गये हैं अब वे काम पर लौटना नहीं चाहते हैं, क्योंकि अमीरों की तरह उनकी भी पहली प्राथमिकता अपने जान को बचाने की है. बहरहाल, कोरोना महामारी के कारण सबसे अधिक नुकसान श्रमिकों को उठाना पड़ा है. उनके जख्म तुरंत भरने वाले नहीं हैं. , इसलिए, आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के बरक्स सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती श्रमिकों का विश्वास जीतना है।

इधर, पूर्णबन्दी से संबंधित दिशानिर्देशों को शिथिल करने के बाद भी कंपनियां काम फिर से शुरू करने के प्रति बहुत सहज नहीं हैं। वे फिलहाल किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती हैं, क्योंकि इसके लिए कुशल श्रमिकों के अलावा कच्चे माल की भी जरूरत है साथ ही साथ तैयार माल के विपणन की भी आवश्यकता है, लेकिन फिलवक्त कंपनियों की इन जरूरतों को पूरा करना आसान नहीं लग रहा है. कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था की स्थिति खस्ताहाल हो गई है। कुछ क्षेत्रों में पूर्णबन्दी के प्रतिबंधों में ढील देने के बाद छोटे कारोबारी अपने कारोबार को शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं.

shailendra tiwari

राजनीति, देश-दुनिया, पॉलिसी प्लानिंग, ढांचागत विकास, साहित्य और लेखन में गहरी रुचि। पत्रकारिता में 20 साल से सक्रिय। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली राज्य में काम किया। वर्तमान में भोपाल में पदस्थापित और स्पॉटलाइट एडिटर एवं डिजिटल हेड मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी।

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