मध्यप्रदेश ही नहीं, देश के दूसरे भागों में भी जहरीली शराब पीने से मौत के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में भी जहरीली शराब पीने से गाहे-बगाहे लोगों की मौतें होती रहती हैं। इन मौतों पर कुछ दिन हल्ला होने या मुआवजा देने की घोषणाओं से ज्यादा कुछ नहीं हो पाता। ऐसे माहौल में मध्यप्रदेश में अवैध शराब से जान जाने पर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रस्तावित प्रावधान सही दिशा में उठाया गया कदम है। इस तरह के अपराध रोकने के लिए सख्त कानून तो जरूरी हैं ही, उन कारणों पर भी गौर करना जरूरी है, जिनकी वजह से अवैध शराब धड़ल्ले से बन रही है और आसानी से बिक भी रही है। विभिन्न रिपोर्टों के जरिए यह बात समय-समय पर सामने आती रही है कि पुलिस की मिलीभगत के चलते ही अवैध शराब का निर्माण और बिक्री का कारोबार हो रहा है। लिहाजा पुलिस विभाग से ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर किया जाना चाहिए, जो किसी न किसी प्रकार से समाजकंटकों के साथ जुड़े हुए हैं। साथ ही इस समस्या पर समग्रता से विचार किया जाना भी आवश्यक है।
पिछले कुछ वर्षों से शराब का चलन बहुत बढ़ गया है। शराब की लत लग जाने पर व्यक्ति कई बार सस्ती शराब के चक्कर में जहरीली शराब पीकर मौत के आगोश में समा जाता है। इसलिए नशाखोरी के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया जाना चाहिए। कभी नशा मुक्त समाज की बात हुआ करती थी। इसके लिए जगह-जगह गोष्ठियां होती थीं, रैलियां निकाली जाती थीं। प्रचार के विभिन्न माध्यमों के जरिए शराबखोरी को हतोत्साहित किया जाता था, लेकिन अब शराब या दूसरे नशों के खिलाफ समाज में माहौल नजर नहीं आता। यही वजह है कि देश का एक बड़ा वर्ग नशे की गिरफ्त में आकर परिवार, समाज और देश के लिए बोझ बनता जा रहा है। कड़े कानून बनाने के साथ नशे की प्रवृत्ति पर भी लगाम लगाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।