आपकी बात, क्या जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

<p>आपकी बात, क्या जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए?</p>
सुधरेगा स्वास्थ्य
जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे उन रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल में कमी आएगी, जो हमारी भूमि को बंजर बना रहे हैं। दूसरा जैविक खेती के जरिए उत्पन्न खाद्य पदार्थों से स्वास्थ्य में सुधार होगा।
-शैलेन्द्र वर्मा, सूरत, गुजरात
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जागरूकता बढ़ाई जाए
आज जिस प्रकार खेती में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है, उससे न केवल मनुष्य बल्कि मृदा भी बीमार पड़ गई है। जैविक खेती इसका एक विकल्प हो सकती है। सरकार को इसके लिए सब्सिडी देनी चाहिए। इसके लिए किसानों में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए
जैविक खेती फसल उत्पादन की प्राचीन पद्धति है, जिसकी वर्तमान समय में नितांत आवश्यकता है। खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता तो कम हो ही रही है, मनुष्य बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं। इसके विपरीत जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक चीजों का प्रयोग किया जाता है। इससे भूमि की उर्वरता भी बची रहती है। इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए।
-गुलशन प्रेम, कोटा
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पर्यावरण दूषित
रासायनिक खादों ने हमारे पर्यावरण को दूषित किया है। मृदा संतुलन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उपज भले बढ़ी पर गुणवत्ता खराब हो गई। रासायनिक खादों से प्राप्त उपज स्वास्थ्य को खराब करने लगी है। प्राप्त उपज अधिक दिन तक टिकाऊ भी नहीं होती है। समय की मांग है कि जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
-कुलदीप पारीक, नागौर
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किसानों को प्रशिक्षित किया जाए
भारत उपजाऊ कृषि भूमि वाला देश है। यहां जैविक कृषि के विकास की अपार संभावनाएं विद्यमान हंै। जैविक कृषि के विकास के लिए सबसे पहले किसानों को प्रशिक्षित करना जरूरी है। अधिकांश किसान रसायन-आधारित खेती के हानिकारक प्रभावों से अवगत नहीं हैं। कृषि में जैविक पद्धतियों को अपनाने से किसानों की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही कृषि भूमि की उर्वरता और उत्पादकता भी बढ़ती है।
-कनिष्क माथुर, जयपुर
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स्वास्थ्य में आएगा सुधार
रासायनिक खाद के प्रयोग से फसलों में जहर घोला जा रहा है। इन फसलों से उत्पन्न खाद्यान्न व सब्जियों से उत्तम स्वास्थ्य की कल्पना बेमानी है। जैविक खेती से हमें शुद्ध आहार व उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति संभव है। यदि हम आगे आने वाली पीढिय़ों को बचाना चाहते हैं, तो यथाशीघ्र जैविक खेती को अपनाना चाहिए ।
-अनुपम कुमार, सीकर
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जन स्वास्थ्य के लिए जरूरी
सरकार को जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए और आवश्यक प्रशिक्षण भी देना चाहिए, ताकि जहरीले रसायनों और कीटनाशकों से छुटकारा मिल सके। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग करने से न सिर्फ फसलें जहरीली होती हैं, बल्कि खेत भी बंजर हो रहे हैं। इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा अवश्य दिया जाना चाहिए। यह जन स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।
-राम मूरत ‘राही, इंदौर, मप्र
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पर्यावरण का संरक्षण
मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए, प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा जरूरी है। हर व्यक्ति को शुद्ध वातावरण के साथ आहार भी पौष्टिक मिले, यह आवश्यक है। इसलिए जैविक खेती अपनाना आज की जरूरत हैं। जैविक खेती से पर्यावरण को दूषित किए बिना उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ पैदा किए जा सकते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से किसानों की उन्नति तो होगी ही, साथ ही यह आम-जन के स्वास्थ्य में भी सहायक होगी।
-नरेश कानूनगो, बेंगलूरु, कर्नाटक
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कम हो रही है मिट्टी की उर्वरता
बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण खपत में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे उत्पादन बढ़ाने में किसानों में एक होड़ सी लगी हुई है। रासायनिक खाद का अत्यधिक उपयोग जहां मिट्टी की उर्वरता को कम कर रहा है, वहीं मनुष्य के स्वास्थ्य में भी लगातार गिरावट आ रही है। इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा देना जरूरी है। यह पद्धति लंबे समय तक जहां मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखेगी, वहीं अनाज व सब्जियों में पोषक तत्व बने रहेंगे।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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बढ़ रही हैं बीमारियां
जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि रासायनिक खाद के ज्यादा प्रयोग से लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं। खाद्यान्न सामग्री के माध्यम से शरीर में कई बीमारियां प्रवेश कर रही हंै। ज्यादा से ज्यादा फसल के उत्पादन के लिए खेतों में रासायनिक खाद डाली जा रही है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त हो रही है। जैविक खेती से मिट्टी को भी नुकसान नहीं होगा और स्वास्थ्य का भी संरक्षण होगा।
-ममता सुखवाल, चित्तौडग़ढ़
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