आपकी बात, क्या चालकों के गाड़ी चलाने के घंटे तय होने चाहिए?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

<p>आपकी बात, क्या चालकों के गाड़ी चलाने के घंटे तय होने चाहिए?</p>
कम नींद के कारण बढ़ रहे हैं हादसे
चालकों के गाड़ी चलाने के घंटे तय होने चाहिए। गाड़ी में स्लीप डिटेक्शन डिवाइस लगी होनी चाहिए। अक्सर नींद की कमी और थकावट की वजह से दुर्घटनाएं घटती रहती हैं। आए दिन लोग हादसे का शिकार होते हैं। चालक नींद को रोक कर कम समय में ज्यादा से ज्यादा दूरी तय करने का प्रयास करते हैं, जो अक्सर दुर्घटना का कारण बन जाता है। अत: इस विषय पर जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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गाड़ी चलाने के घंटे तय किए जाएं
चालकों को कई घंटों गाड़ी चलानी पड़ती है, जिससे वे थक जाते हैं और तनाव में रहते हैं। ऐसे वाहन चालकों से हादसे हो जाते हैं। चालकों की ड्यूटी का समय निर्धारित हो। एक दिन में आठ घंटे से अधिक गाड़ी नहीं चलानी चाहिए।
-मदनलाल लम्बोरिया, भिरानी
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अनियमित दिनचर्या और अवसाद
अक्सर हम हाईवे पर निकलते समय ट्रक चालकों को भला-बुरा कहते हैं, लेकिन हम यह नहीं समझ पाते कि वे भी इंसान हैं। इनकी दिनचर्या अनियमित होती है। वे कई बार भूखे-प्यास गाड़ी चलाते हैं। नींद तो कभी पूरी होती ही नहीं। बेहतर तो यह है कि वाहन चालक के घंटे तय हों। चालकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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समय निर्धारित किया जाए
जिस प्रकार हर क्षेत्र में काम करने के घंटे तय हैं, उसी प्रकार वाहन चलाने के लिए भी घंटे तय होने चाहिए, क्योंकि चालकों की भी अपनी क्षमता होती हैं। कई बार तो चालक को नींद की झपकी आ जाने की वजह से हादसे हो जाते हैं। वाहन चालक थक जाते हैं, तो शराब पीकर वाहन चलाते हैं और हादसा हो जाता है।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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चालक की सेहत पर ध्यान दें
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में होने वाली दुर्घटनाओं में 11 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। सड़क दुर्घटना रिपोर्ट, 2019 के मुताबिक भारत में प्रतिदिन दुर्घटनाओं में 415 लोगों की मौत होती हैं, इसलिए चालकों पर मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 कानून का उपयोग कर, भारी जुर्माना और सजा देने का प्रावधान किया गया है। अधिकतर दुर्घटनाओं की मुख्य वजह चालक का मानसिक तनाव, नौकरी जाने का डर और थकान होती है। इन सभी पहलुओं पर न सरकार का ध्यान है और न ही इस मुद्दे पर बात होती है। इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा। चालकों की सेहत का ध्यान रखने के लिए नियम-कानून बनाने होंगे।
-लोकेंद्र सिंह चंपावत, जालोर
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चालक का भी समय निर्धारित हो
हर नागरिक का यह अधिकार होता है कि वह निर्धारित समय में ही कार्य करके अपने घर पर जाए। दुर्भाग्य की बात यह है कि ड्राइवर को यह अधिकार अभी तक नहीं मिला है और न ही इस बारे में खास चर्चा ही हो रही। ड्राइवर का भी समय निर्धारित होना चाहिए।
नरपत सिंह चौहान जैतारण
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बचेगी जान
ज्यादातर हादसे कम नींद व मानसिक तनाव के कारण होते हैं। यदि चालकों के गाड़ी चलाने के घंटे तय हो जाएं, तो हादसे कम हो सकते हैं। इससे वाहन चालक ही नहीं दूसरों की भी जान बचेगी।
नंदकिशोर गौरा, ढाणिपुरा
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कम होंगे हादसे
वर्तमान में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं वाहन चालकों का स्वास्थ्य व मानसिक स्थिति भी जिम्मेदार है। विशेष कर ऐसे चालक जो रात-दिन वाहन चलाते है। जैसे-ट्रक चालक। ऐसे में आवश्यक है कि ट्रक चालकों के लिए भी ड्राइविंग के घंटे निश्चित होने चाहिए। इससे थकान की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
– अजिता शर्मा, उदयपुर
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ताकि न हों दुर्घटनाएं
यह बात सही है कि ड्राइवरों के लिए गाड़ी चलाने के घंटे तय होने चाहिए । ज्यादातर ट्रकों का एक्सीडेंट ट्रक चालक के नींद में होने की वजह से होता है। अगर चालक के घंटे तय कर दिए जाएं, तो एक्सीडेंट कम हो जाएंगे। कई चालक 24 घंटे में से 18 से 20 घंटे तक ट्रक चलाते हैं। इससे एक्सीडेंट हो जाते हैं। इसलिए ड्राइवर को 24 घंटे में से 9-10 घंटे ही गाड़ी चलानी चाहिए
-सुनील कुमार, हिम्मतनगर, गुजरात
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स्वस्थ रहें चालक
वाहन चालक का काम जोखिम भरा है। वाहन को नियंत्रित रखने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना। यदि वाहन चालक किसी दबाव में या अधिक मजदूरी की लालच में अपने शरीर को आराम न देकर निरंतर काम करके थका देता है, तो उसका विपरीत प्रभाव मन मस्तिष्क पर पड़ता है। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इसलिए वाहन चालकों के काम के घंटे निर्धारित होने चाहिए।
-श्रीदत्त शुक्ल, बालको नगर, कोरबा
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