आत्म-दर्शन : जरूरी है दया भाव

यीशु ने कहा, ‘मैं भूखा था और आपने मुझे खाना दिया, मैं प्यासा था और आपने मुझे पानी पिलाया, आपने मुझे कपड़े पहनाए।’

<p>Pope Francis</p>

पोप फ्रांसिस, ईसाई धर्म गुरु

ईसा मसीह ने खुद को गरीबों के करीब रखा। जो हाशिए पर थे, समाज से त्याग दिए गए थे, निराशा थे, शोषित थे, यीशु उनके पास रहे। यीशु ने कहा, ‘मैं भूखा था और आपने मुझे खाना दिया, मैं प्यासा था और आपने मुझे पानी पिलाया, आपने मुझे कपड़े पहनाए।’ इस प्रकार यीशु ने हमारे लिए परमेश्वर के हृदय को प्रकट किया है। ईश्वर एक पिता हैं, जो अपने प्रत्येक पुत्र और पुत्रियों की गरिमा की रक्षा और संवर्धन करना चाहते हैं। वे हमें मानवीय, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को बेहतर करने के लिए कहते हैं, ताकि किसी के मौलिक अधिकारों का हनन न हो और उसे रौंदा न जाए। किसी को भी रोटी की कमी न हो और अकेलेपन का दंश भोगना न पड़े।

शहर के व्यस्त जीवन में विरोधाभास का संकेत भी है, जहां कई लोग अपनी गरीबी और पीड़ा में खुद को अकेला पाते हैं। ऐसी स्थितियां हमें अपनी उदासीनता से बाहर आने के लिए विवश करती हैं। जो पीड़ा में हैं, उनके प्रति दया दिखाने और जो जीवन के भार से दबे हुए हैं, उन्हें कोमलता के साथ ऊपर उठाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। हम जानते हैं कि इसके लिए अच्छा दिल और मानवीय ताकत आवश्यक है। जब हम एक गरीब व्यक्ति का सामना करते हैं तो हम उसे अपने भाई या बहन के रूप में देखें, क्योंकि यीशु उस व्यक्ति में उपस्थित हंै।

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