आत्म-दर्शन : ठीक नहीं अहंकार

हर बिल में चूहे नहीं होते। सांप भी होते हैं। इसलिए इस खुशफहमी में मत जीओ कि तुम्हारी तानाशाही हर हाल में बर्दाश्त की जाती रहेगी और उसका प्रतिकार करने वाला नहीं मिल पाएगा।

<p>आचार्य पुलक सागर</p>

आचार्य पुलक सागर

आसमान को देखकर चलने वाला निश्चित ठोकर खाएगा। चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढल ही जाएगा। सूरज ढल जाता है, फिर हम किस खेत की मूली हैं। सिर को अभिमान में ज्यादा उठाकर मत चला करो। एक बात हमेशा याद रखना छाती चौड़ी करके चलने वाले को झुकाने वाला मिल ही जाता है। दस शीश के अभिमान में सीना चौड़ा कर चलने वाले रावण को धूल चटाने वाले श्रीराम मिल ही जाते हैं। अपनी ताकत के दंभ में सिर ऊंचा करके चलने वाले कंस का दर्प दलन करने के लिए श्रीकृष्ण मिल ही जाते हैं। अहंकारी को पछाडऩे वाले मिल ही जाते हैं। हर युग में अहंकारी का सिर नीचा हुआ है और उसका दंभ नेस्तनाबूद करने के लिए सेर को सवा सेर मिल ही जाता है। हर बिल में चूहे नहीं होते। सांप भी होते हैं। इसलिए इस खुशफहमी में मत जीओ कि तुम्हारी तानाशाही हर हाल में बर्दाश्त की जाती रहेगी और उसका प्रतिकार करने वाला नहीं मिल पाएगा।

एक बार एक आतंकी राजा ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर दरबार में हाजिर करने का हुक्म दिया। राजा अपने जायज-नाजायज हर हुक्म को लोगों पर लाद देता था। उसका विरोध करने वाले शख्स को जब गिरफ्तार कर राजा के सामने पेश किया गया, तब उसने कहा-आप ‘मुझे सूली चढ़ा दें, फिर भी मैं आपकी आज्ञा का तिरस्कार करूंगा।Ó यह कहकर उसने राजा को इस बात का एहसास करा दिया कि अहंकार से लोगों के दिलों पर राज नहीं किया जा सकता।

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