आत्म-दर्शन – कैसे हो शांति ?

एक भीड़ को शांतिपूर्ण बनाने का काम नहीं किया जा सकता और व्यक्तिगत बदलाव लाने के लिए लगातार प्रयास जरूरी हैं।

<p>सद्गुरु जग्गी वासुदेव</p>

लेखक – सद्गुरु जग्गी वासुदेव
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक

हम लगातार दुनिया को शांतिपूर्ण बनाने का प्रयास कर रहे हैं, पर एक ही समस्या है कि खुद मनुष्य शांतिपूर्ण नहीं है। अगर आप खुुद शांतिपूर्ण नहीं हैं, तो एक शांतिपूर्ण दुनिया का सपना कैसे देख सकते हैं और उसकी संभावना ही कहां है? असल में लोग शांति का सही मतलब भी नहीं जानते। वे सोचते हैं कि दुनिया की शांति का मतलब कुछ नारे लगाना और फिर घर जाकर अच्छी तरह से सो जाना है। एक भीड़ को शांतिपूर्ण बनाने का काम नहीं किया जा सकता और व्यक्तिगत बदलाव लाने के लिए लगातार प्रयास जरूरी हैं । ये प्रतिबद्धता जीवन भर के लिए है, पर वैसी प्रतिबद्धता अब तक दिखी नहीं है।

जैसे हम बच्चे को अक्षर ज्ञान कराते हैं, अगर हम उसको अपने अंदर शांतिपूर्ण रहना भी छोटी उम्र से ही सिखाएं, तो ये संसार एक प्यारी जगह बन सकता है। ये एक बहुत बड़ा काम है और अब तक हमने इस काम के लिए भौतिक या मानवीय संरचना में सही निवेश नहीं किया है। आप अपने बारे में जितना ज्यादा जानेंगे, उतने ही ज्यादा आप प्रभावशाली हो सकेंगे। ये कोई अतिमानव होने की बात नहीं है, ये समझने का विषय है कि मनुष्य होना ही अपने आप में एक महान बात है।

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