वैसे तो भारत में पोर्न बनाना, बेचना, शेयर करना और इसका सार्वजनिक प्रदर्शन प्रतिबंधित है। बावजूद इसके भारत दुनिया का तीसरा सबसे अधिक पोर्न देखने वाला देश है। वर्ष 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 से 2018 के बीच भारत में पोर्न देखने की दर में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। वर्तमान हालात तो बेहद गंभीर हैं। स्मार्टफोन की उपलब्धता और तेज गति इंटरनेट के कारण पोर्न का दायरा कई गुना बढ़ा ही है। कहने को भारत सरकार ने वर्ष 2018 में करीब 850 पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसका कोई खास प्रभाव नहीं हुआ है। ये वेबसाइटें नए-नए डोमेन लेकर भारतीय बाजार में आ जाती हैं। अब तो एप, वॉट्सएप, टेलीग्राम, ट्विटर जैसे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जाकर लोग इसे देख रहे हैं।
सबसे बड़ी चिंता तो यह है कि इन फिल्मों के शिकंजे में बच्चे भी आ रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के इस दौर में बच्चों के पास स्मार्टफोन हैं, जिससे वे इसकी चपेट में आसानी से आ जाते हैं। माता-पिता कितनी भी कोशिश करें, मगर बच्चे हर लगाम को लांघ रहे हैं। तकनीक के इस अत्याधुनिक युग में इस तरह के कंटेंट को बच्चों को अच्छे संस्कार व तालीम देकर ही रोका जा सकता है। बच्चों को बताना होगा कि वे नशा मानकर इससे दूर रहें। यह सामान्य नशे से भी घातक है। उनमें भले-बुरे की समझ विकसित करनी होगी। साथ ही, सरकार को भी सतत निगरानी करके पोर्न सामग्री को प्रतिबंधित करते रहना चाहिए। सख्त कानून और त्वरित कठोर दंड से भी इस तरह के काम में लिप्त समाजकंटकों को काबू में किया जा सकता है।