अनुभवी बाइडन ने छीन ली पुतिन के चेहरे की मुस्कान

बाइडन ने बताया कि उन्होंने पुतिन को चेताया है यदि नवालनी की मौत रूसी जेल में हो जाती है तो नतीजे ‘रूस के लिए भयावह होंगे’यूरोप दौरे में नजर आया बाइडन के विदेश नीति अनुभव का असर…

<p>Biden and Putin meet</p>

मैक्स बूट, स्तम्भकार (द वॉशिंगटन पोस्ट)

राजनीति में अनुकूलता और गंभीरता को खास महत्त्व नहीं दिया जाता। आम तौर पर राष्ट्रपति चुनते वक्त जनता जोश और उत्साह में कई बार अनुभवहीन व्यक्ति को चुन लेती है। नतीजा यह होता है कि ओवल ऑफिस में विदेश नीति संबंधी मामलों में अपरिपक्वता दिखाई देती है। जब ऐसे नवनिर्वाचित नेता की पहली विदेश यात्रा होती है तो पर्यवेक्षकों और सहायकों के बीच आशंका बनी रहती है: क्या राष्ट्रपति को पता है, वे क्या कर रहे हैं?, क्या वे ऐसा कुछ कह देंगे, जो उन्हें नहीं कहना चाहिए?, क्या वे अधिक अनुभवी नेताओं के निशाने पर रहेंगे?

राष्ट्रपति जो बाइडन के संदर्भ में ऐसी कोई चिंता नहीं है। उपराष्ट्रपति और सीनेटर के तौर पर उन्हें विदेश नीति का अच्छा खासा अनुभव है। यूरोप यात्रा में उनका विदेश नीति कौशल (हालांकि अफगानिस्तान से जल्दबाजी में सेना वापसी के मामले में समझ से बाहर) साफ दिखाई दिया, जिसका फायदा अमरीकी जनता को मिला। जी-7 समूह, यूरोपीय संघ और नाटो के लोकतांत्रिक नेताओं के साथ बाइडन ने अच्छा सामंजस्य स्थापित किया। अधीर और बाहरी डॉनल्ड ट्रंप के मुकाबले सौहार्दपूर्ण और मसलों से वाकिफ बाइडन कई मायनों में बेहतर साबित हुए। विकासशील देशों को कोविड-19 वैक्सीन की 1 अरब डोज भेजने, ग्लोबल कॉर्पोरेट न्यूनतम कर 15 प्रतिशत रखने, चीन के चलते पैदा चुनौती के बारे में बोलने और एयरक्राफ्ट सब्सिडी पर यूरोप-अमरीका व्यापार विवाद को हल करने जैसे मुद्दों पर बाइडन ने साथी नेताओं को सहमत किया।

बाइडन के यूरोप पहुंचने से पहले ही अमरीका के सहयोगियों के बीच उनकी स्वीकार्यता दर बढ़ गई। प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, 16 देशों में अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा सही कार्य करने का विश्वास रखने वाले लोगों का औसत प्रतिशत गत वर्ष के 17% से बढ़ कर 75% तक हो गया। बाइडन की सफल यूरोप यात्रा से यह संख्या और बढ़़ेगी। संभवत: मित्र राष्ट्रों के साथ बाइडन की ये मुलाकातें अमरीका के विरोधी व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी मुलाकात की प्रस्तावना लिख रही थीं। रूसी नेता के साथ बाइडन और ट्रंप के व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर है। हेलसिंकी (जुलाई 2018) में जब पुतिन ने 2016 के अमरीकी चुनाव में रूस की दखलंदाजी से इनकार किया था तो ट्रंप आसानी से मान गए थे। तब से पुतिन का प्रभाव बढ़ा ही है।

इतिहासकार माइकल बैशलॉस के अनुसार, बाइडन से मुलाकात के बाद पुतिन ने हाल ही जो प्रेस कांफ्रेंस की, उसमें उनके चेहरे पर कोई मुस्कान नहीं दिख रही थी। विपक्ष के नेता अलेक्जेंडर नवालनी को जेल में डालने के मामले की तुलना उन्होंने कैपिटल दंगाइयों के मामले से की। वह अमरीका पर शब्द बाण चलाते दिखे, लेकिन इस सावधानी के साथ कि व्यक्तिगत तौर पर बाइडन का अपमान न हो। यहां तक कि उन्होंने बाइडन की तुलना पूर्व राष्ट्रपति से करते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति बाइडन एक अनुभवी राजनेता हैं, वह ट्रंप से काफी अलग हैं।’ बाइडन ने स्पष्टत: कहा कि उन्होंने पुतिन के साथ वार्ता के दौरान मानवाधिकार विषयों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा- ‘ऐसा कैसे हो सकता है कि अमरीका का राष्ट्रपति होने के नाते मैं मानवाधिकार उल्लंघन का विरोध न करूं?’ बाइडन ने बताया उन्होंने पुतिन को चेताया है अगर नवालनी की मौत रूसी जेल में हो जाती है तो इसके परिणाम ‘रूस के लिए भयावह होंगे।’

बाइडन ने रूस के बदलने की कोई नई उम्मीद नहीं जताई। लेकिन उन्होंने कहा, ‘किसी को भी एक नए शीत युद्ध में फंसने में रुचि नहीं है।’ देखना यह है कि पुतिन बाइडन के संदेश को किस रूप में लेते हैं? कुल मिलाकर, राष्ट्रपति कम से कम ऐसा ही होना चाहिए जो यह भलीभांति जानता हो कि क्या संदेश देना है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.