वैक्सीन को लेकर हिचक दूर करना आवश्यक

– यह जंग खतरनाक महामारी कोरोना के खिलाफ है। इसे जीतने के लिए सूझ-बूझ के साथ बेहद कुशल रणनीति की जरूरत है

<p>वैक्सीन को लेकर हिचक दूर करना आवश्यक</p>

डॉ. चन्द्रकांत लहारिया

जब से भारत में कोविड-19 टीकाकरण शुरू हुआ है, सभी राज्यों और जिलों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। टीकाकरण स्थल बनाए गए हैं और हर दिन वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। कार्यक्रम प्रबंधक आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं। हालांकि कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने वैक्सीन को लेकर ‘हिचकिचाहट’ दिखाई है। चूंकि भारत आगामी 5-7 महीनों में 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसलिए यह समय विचार करने और पुन: रणनीति तय करने का है। वैक्सीन के प्रति हिचक और शंकाएं दूर करना पहली प्राथमिता होनी चाहिए।

पूर्व में बड़े पैमाने पर चलाए गए टीकाकरण कार्यक्रमों में भी वैक्सीन को लेकर श्ंाकाएं उठने की बात सामने आई थी। भारत को उस अनुभव से सीखे गए सबक इस बार लागू करने चाहिए। स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय संवाद रणनीति अपनानी होगी और इस कार्यक्रम के मुख्य भागीदारों जैसे सामुदायिक सदस्यों, विभिन्न उप समूहों के प्रतिनिधियों और प्रभावशाली लोगों को साथ लेकर चलना होगा। आम आदमी की भाषा में वैक्सीन विज्ञान के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाना और उसकी मुख्य आशंकाओं का समाधान करके ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए विषय विशेषज्ञों और समाज में गणमान्य व्यक्तियों की सहायता ली जा सकती है। अब जबकि लोग वैक्सीन लगाने में संकोच दिखा रहे हैं, तो हमारे लिए यह हिचकिचाहट एक खुली चुनौती है। आने वाले दिनों में जब बड़ी संख्या में लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगाई जाएगी,तब ज्यादा टीकाकरण सत्र स्थल, प्रशिक्षित टीकाकरण कर्मियों और स्वास्थ्य सेवाओं से इतर सेवा क्षेत्र के मानव संसाधन की जरूरत पड़ेगी। निजी क्षेत्र की सुविधाओं और मानव संसाधन का उपयोग समुचित रूप से होना चाहिए।

जैसे-जैसे टीकाकरण स्थल और वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या बढ़ेगी, इन केंद्रों पर भी समान रूप से फोकस करना होगा। टीकाकरण स्थल बढ़ाने के लिए पर्याप्त योजना और प्रशिक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि अगर इन केंद्रों पर कुप्रबंधन की गुंजाइश रही, तो उसके परिणाम प्रतिकूल हो सकते हैं। साथ ही ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यकर्ता सीधे टीकाकरण के काम में लगा दिए जाएं। चूंकि टीकाकरण कार्यक्रम लंबा चलने वाला है, हो सकता है 6 -8 महीनों तक खिंच जाए, इसलिए स्वास्थ्य स्टाफ की उपलब्धता और नियमित स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।

भारत की कोविड-19 टीकाकरण रणनीति के प्रारूप के अनुसार उन लोगों की रक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्हें संक्रमण का खतरा सर्वाधिक है, जैसे स्वास्थ्य एवं आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी और अति संवेदनशील आबादी के टीकाकरण से मृत्यु दर घटाने पर फोकस किया जाएगा। यह रणनीति सही और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली है, जिसके अधिकतम लाभ मिलेंगे। कोविड-19 वैक्सीन ने भारत को अवसर दिया है कि वह स्वास्थ्य के संदर्भ में वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा को सार्थक करे। भारत सरकार अन्य देशों को भी यह वैक्सीन भेंट स्वरूप या निर्यात के जरिए उपलब्ध करवा रही है। महामारी में यह क्रम जारी रहना चाहिए क्योंकि दुनिया के सभी देश इससे प्रभावित हुए हैं। जब तक एक भी देश में महामारी के अंश रहेंगे, इससे पूरी दुनिया की मुक्ति असंभव है। इसके अलावा जिनशहरों में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं,और जिन राज्यों जैसे कि महाराष्ट्र और केरल जहां पर वायरस लंबे समय से और तेजी से फैल रहा है, वहंा विशेषज्ञों को टीकाकरण की एक भिन्न नीति पर विचार करना चाहिए। यह जंग कोरोना के खिलाफ है। इसे जीतने के लिए सूझ-बूझ के साथ कुशल रणनीति की जरूरत है।
(लेखक जन स्वास्थ्य, वैक्सीन्स और स्वास्थ्य तंत्र विशेषज्ञ हैं)

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