जमा पूंजी – पत्नी के नाम सम्पत्ति, सावधानी भी है जरूरी

– आज का सबक ये कि पत्नी के नाम सम्पत्ति लें, लेकिन आयकर विवरणी में उसे अपनी सम्पत्ति दिखाएं। वसीयत में भी इस बात का पूर्ण खुलासा जरूरी है। यदि आप वसीयत में यह उल्लेख करते हैं तो मुसीबत से बच जाते हैं।

<p>असीम त्रिवेदी, सीए, ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग स्टैंडर्ड, कानूनी मामलों के जानकार</p>

असीम त्रिवेदी, सीए, ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग स्टैंडर्ड, कानूनी मामलों के जानकार

अखबार की एक कतरन हाथ में लिए एक चचेरे भाई का सुबह सवेरे मेरे घर में आना हुआ। बोला, ‘भाई साहब अब ये क्या नया आ गया कि अगर सम्पत्ति जिसके नाम पर है, उसने उसका भुगतान उसने नहीं किया, किसी और ने किया है, तो उसे बेनामी सम्पत्ति कहा जाएगा और सरकार को उसे जब्त करने की शक्तियां दी गई हैं।’ मैंने कहा, ‘भाई तुम क्यों इतने विकल हो रहे हो ?’ बोले, ‘भाई साहब मैंने तो सारी प्रॉपर्टी धर्मपत्नी के नाम पर ले रखी है , और वह तो गृहिणी है, आयकर रिटर्न में उसे ब्याज की आय जाती है बस, घर बनाने में पैसा तो मेरा लगा, रजिस्ट्री में 2 प्रतिशत की स्टाम्प ड्यूटी बचाने के चक्कर में क्या अब मेरी सम्पत्ति बेनामी हो जाएगी?’ मैंने कहा, ‘भाई साहब आपसे अगर कोई हिसाब मांगेगा कि इस घर को बनाने के लिए आए पैसे का स्रोत क्या है तो बता पाओगे कि नहीं ?’ भाई बोला, ‘बिलकुल बता दूंगा कि पारिवारिक बंटवारे में मुझे जो हिस्सा मिला उसे बेचा, पूरा हिसाब है मेरे पास। मैंने कहा, ‘चिंता ना करो अब ये बेनामी सम्पत्ति नहीं कहलाएगी। अगर तुम हिसाब नहीं दे पाते कि तुम्हारे किस स्रोत की आय से तुमने घर बना कर भाभी के नाम में पंजीकृत करवाया तो ये बेनामी सम्पत्ति हो जाती और भाभी कहलाती तुम्हारे अपराध की बराबर की साझेदार।Ó हंसते हुए वे बोले यार तू डराता बहुत है। अभी उनकी चिंता समाप्त नहीं हुई थी।

अगला प्रश्न पूछ लिया, ‘भाई इस मकान की वसीयत कौन कर सकता है। मैं कि मेरी पत्नी?’ मैंने कहा, ‘अब आप सही मुद्दे पर आए हैं। भले ही घर भाभी के नाम पर है, पर वसीयत आप कर सकते हैं, पर एक बात का ध्यान रखें कि अपनी आयकर विवरणी में इस मकान का उल्लेख करें और वसीयत में भी इस बात का जिक्र करें कि ये घर मैंने स्वयं के पैसों से पत्नी के नाम में खरीदा था, जिसे मेरी आयकर विवरणी में दर्शाया गया है। ये वाक्य आपके भविष्य के सारे विवाद खत्म कर देगा। मैंने उन्हें उदाहरण दिया कि एक क्लाइंट की वसीयत में ये वाक्य नहीं डाला गया। उसकी मृत्यु के कुछ समय बाद पत्नी की भी मृत्यु हो गई। जिस बेटी को उन्होंने वसीयत से बाहर किया था बेटी-दामाद ने वसीयत को चुनौती दे डाली ये कहते हुए कि ये सम्पत्ति पिता की थी ही नहीं, और मां भी अब इस दुनिया में नहीं है। मां ने कोई वसीयत नहीं की इसलिए अब इस सम्पत्ति का बँटवारा सभी में होगा। मामला पेचीदा हो गया है कोर्ट में विचाराधीन है। आज का सबक ये कि पत्नी के नाम सम्पत्ति लें, लेकिन आयकर विवरणी में उसे अपनी सम्पत्ति दिखाएं। वसीयत में भी इस बात का पूर्ण खुलासा जरूरी है।

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