आपकी बात, गांव में कोरोना को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

<p>आपकी बात, गांव में कोरोना को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?</p>
टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट
गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं कम हैं। ऐसे में गांवों के लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया तो उनके गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंका बनी रहेगी। इसलिए गांव में टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट के आधार पर कार्य करना होगा। जिस गांव में संक्रमण बढ़ रहा है, वहां टेस्टिंग के कैम्प लगा कर रैंडम टेस्टिंग करनी चाहिए। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को अलग रखना चाहिए। संक्रमित लोगों को अलग रखने के लिए अगर घर में व्यवस्था न हो तो पंचायत भवन व विद्यालय का उपयोग भी किया जाना चाहिए। गांव के अस्पतालों में कोरोना के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाइयों की किट उपलब्ध करवा कर हल्के लक्षण वाले मरीजो को अगर तुरंत उपचार दिया जाए, तो वे जल्दी ठीक हो सकते हैं। इसके अलावा गांव से शहर का लिंक तोडऩा आवश्यक है। गांव से शहर में इलाज के अलावा किसी अन्य कार्य के लिए जाने पर रोक लगानी चाहिए।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाया जाए
कोरोना महामारी ने गांवों में भी पैर पसार लिए हैं। स्थिति भयावह होने से रोकने के लिए आपसी सहयोग और जागरूकता की आवश्यकता है। सबसे पहले हमें गांवों में लॉकडाउन का सख्ती से पालना करवाना होगा। कोरोना से बचाव के लिए बनाई गई गाइडलाइन की पालना पर जोर दिया जाए। गांवों में भी सैनिटाइजर का छिड़काव होना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए खाद्य सामग्री की व्यवस्था की जाए। गांव में किसी न किसी बहाने भीड़ जमा हो जाती है। इस प्रवृत्ति पर रोक आवश्यक है। टीकाकरण भी तेजी से करना चाहिए।
-सुषमा जैन, भीलवाड़ा
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मरीजों की पहचान करके इलाज शुरू किया जाए
कोरोना संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए एक-एक मरीज की जानकारी रखी जाए। जांच में तेजी हो। सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार वाले मरीजों की पहचान कर तुरंत मेडिकल किट उपलब्ध करवाई जाए। लोगों को जागरूक किया जाए। लोग दो गज दूरी और मास्क लगाने का ध्यान रखें। जरूरतमंदों को सरकार या भामाशाहों की मदद से खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाए।
-महेन्द्र चौधरी शोकलिया , अजमेर
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जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका
कोरोना महामारी का गांव-ढाणियों में प्रसार रोकने के लिए गांवों के पंच, सरपंच तथा अन्य शिक्षित लोगों को सक्रिय होना होगा। स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधि मिलकर लोगों को मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंङ्क्षसग रखने तथा अनावश्यक घर से बाहर नहीं जाने के लिए प्रेरित करें।
-तेजपाल गुर्जर, हाथीदेह, श्रीमाधोपुर
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गांवों में चिकित्सा नेटवर्क मजबूत किया जाए
इस समय कोरोना गांवों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, जो चिंता का विषय है। इसलिए जिन-जिन गांवों में स्वास्थ्य केंद्र हैं, वहां डॉक्टर और नर्स की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। वहां दवाई, इंजेक्शन व चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करवाए जाने चाहिए।
-हेमा हरि उपाध्याय अक्षत , उज्जैन
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कोरोना बचाव समिति बने
एक ऐसी कोरोना बचाव समिति बने जिसमें उस राजस्व गांव के सरपंच, उपसरपंच, ग्राम सेवक, पटवारी, शिक्षक एवं नवयुवक, नर्स और डॉक्टर शामिल हों। प्रथम सप्ताह में समिति के लोग घर-घर जाकर कम लक्षणों वाले सदस्यों को कोरोना किट देकर आएं और उनको परहेज और आइसोलेशन प्रक्रिया समझा कर आएं। गंभीर बीमार लोगों को नजदीकी अस्पताल में परामर्श के लिए भेजा जाए और उचित जगह इलाज करवाने में मदद करें। लोगों को टीका लगवाया जाए। भीड़ जुटाने पर रोक लगाई जाए। प्रत्येक घर के कम से कम एक मोबाइल नम्बर की जानकारी समिति के पास होनी चाहिए।
-भंवर लाल सुथार, जोधपुर
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टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाई जाए
कोरोना की दूसरी लहर में शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। कोरोना नियंत्रण के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को और अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। गांवो में कोरोना की जांच सुनिश्चित की जाए, ताकि समय रहते मरीज को सही उपचार मिल सके। अधिकांश ग्रामीणों में टीके को लेकर अब भी संशय है, जिसे दूर किया जाए। संक्रमण को रोकने का टीका ही एकमात्र विकल्प दिख रहा है। इसलिए टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाई जाए।
-ओत्शु यादव, दुर्ग छत्तीसगढ़
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भ्रांतियां रोकनी होंगी
शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना वायरस नियंत्रित करना इस समय की सबसे बड़ी चुनौती हैं। ग्रामीण परिवेश में सामाजिक दूरी तथा मास्क पहनने पर खास ध्यान नहीं है। अति आत्मविश्वास और सही जानकारी के अभाव में संक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है। हालात संभालने के लिए पंच, सरपंच, प्रतिष्ठित व्यक्तियों, संस्थाओं, आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी संभालनी होगी।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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प्रधान और सरपंच की महत्वपूर्ण भूमिका
गांव में कोरोना का नियंत्रण करने के लिए गांव के प्रधान एवं सरपंच की महत्वपूर्ण भूमिका है। संबंधित गांव में कार्य करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोविड-19 के निर्देशों के पालन करवाए। संक्रमित व्यक्ति यदि गांव के बाहर घूमता पाया जाए, तो उस पर आर्थिक दंड लगाया जाए।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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जागरूकता पैदा करने की जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानीय माध्यमों से कोरोना की भयावहता से अवगत कराना होगा। साथ ही जागरूक संदेशों से कोरोना से सुरक्षित रहने के उपायों को भी बताना होगा। विशेषकर पारिवारिक मुखिया को जिम्मेदार बना परिवार पर नियंत्रण रखने को पाबंद करना होगा।
—मनोज जैन, टोंक
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गांवों में नि:शुल्क टेस्ट किए जाएं
गांवों में कोरोना को नियंत्रित करने के लिए सरकार को सभी ग्राम पंचायतों में शिविर आयोजित कर नि:शुल्क कोरोना टेस्ट करवाना चाहिए। शिविर स्थलों पर कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाना चाहिए। इसक लिए एनसीसी कैडेटों को तैनात किया जाना चाहिए। घर-घर जाकर टीकाकरण की व्यवस्था करनी चाहिए। हर ग्राम पंचायत में एक हेल्प डेस्क बनाई जानी चाहिए, जहां लोगों की समस्या का समाधान हो।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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समझाइश के साथ सख्ती जरूरी
सभी योग्यजनों को टीके प्राथमिकता के साथ लगवाए जाएं। लोगों को आवश्यकता की चीजें गांव में ही उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वे अन्य स्थानों की तरफ ना भागें। समझाइश व सख्ती दोनों को अपनाया जाना चाहिए। जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया जाए व संक्रमितों की निगरानी की पुख्ता व्यवस्था की जाए।
-संजय शर्मा, उदयपुर
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घर में ही मिले उपचार
गांवों में कोरोना तेजी से पैर पसार रहा है। उसे रोकने के लिए हमें युद्ध स्तर पर लड़ाई लडऩी होगी। सरपंच को कोरोना के खिलाफ एक मुहिम छेडऩी होगी। साथ ही एक टीम का गठन करना चाहिए। वह टीम कोरोना गाइडलाइन के तहत सम्पूर्ण दिशानिर्देशों का पालन करते हुए घर-घर जाकर जांच करे एवं कोई रोगी हो तो उसका उपचार करवाए। जिन लोगों के वैक्सीन नहीं लगी है, उन लोगों के लिए वैक्सीन का प्रबंध करके वैक्सीन लगाई जाए। गांवों में लोग अब भी लोग इस महामारी को हल्के में ले रहे है। ऐसे में उनको सचेत करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया जाए।
-विवेक जैन, जयपुर
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जरूरी है सख्ती
गांवों में कोरोना नियंत्रित करना है तो सर्वप्रथम लोगो को कोरोना जांच करवानी चाहिए, क्योंकि गांव में लोग सर्दी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द होने पर डर जाते हैं और कोरोना जांच नहीं करवाते हैं। इससे दूसरे लोगों को भी खतरा पैदा हो जाता है। अगर किसी को लगता है कि उसे सर्दी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द है या वह संक्रमित है तो उसे खुद घर के सदस्यों से दूर रहना चाहिए व बाकी घर के सदस्यों को भी बाहर जाने से रोकना चाहिए। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर खुद व घर के किसी भी सदस्य को ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। लॉकडाउन होने पर भी लोग जीमने जा रहे हैं, , शादियां कर रहे हैं, मृत्युभोज कर रहे हैं। इस तरह की गतिविधियों को सख्ती से रोकना चाहिए।
-वैभव गड़ात, लसानी देवगढ़, राजसमन्द
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कोरोना जागरूकता अभियान जरूरी
गांवों में कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए युद्ध स्तर पर कोरोना जागरूकता अभियान की अति आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त गांवों में ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं एवं टेस्टिंग सुविधा में अपेक्षित सुधार की भी अत्यंत आवश्यकता है। ग्रामीणों में कोरोना जांच को लेकर भय का माहौल बना हुआ है, जिसे जागरूकता से ही दूर किया जा सकता है। सर्वे करवाया जाकर नि:शुल्क जांच एवं दवा वितरण से भी कोरोना को नियंत्रित किया जा सकता है । जिन गांवों में संक्रमण का खतरा फैला है या फैलने की आशंका है, वहां कोविड केयर सेंटर भी खुलने चाहिए।
-राजेश कुमार पारीक, बगवाड़ा, जयपुर
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