आपकी बात, स्तनपान शिशुओं और माताओं के लिए कितना लाभकारी है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

<p>स्तनपान शिशुओं और माताओं के लिए कितना लाभकारी है?</p>
छह माह तक के शिशुओं के लिए स्तनपान पूर्ण आहार
मां का दूध शिशु के लिए अमृत समान होता है। बच्चों को छह महीने तब स्तनपान जरूर कराना चाहिए, क्योंकि मां का दूध एक बच्चे के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता। मां के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, विटामिन, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हंै। शिशु के जन्म के छह माह बाद तक मां का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार की सभी जरूरतें पूरी करता है। स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होता है। इससे एक मां और उसके शिशु के बीच का रिश्ता और मजबूत होता है और यह एक महिला को अवसाद से बचाने में भी मदद करता है। स्तनपान करने वाले बच्चों का इम्यून सिस्टम दूसरे बच्चों से कहीं अधिक मजबूत होता है। ऐसे बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से भी बहुत मजबूत होते हैं। स्तनपान की प्रक्रिया के जरिए न सिर्फ शिशु को जरूरी पोषण मिलता है, बल्कि इससे उसकी अपनी मां के साथ बॉन्डिंग भी बनी रहती है। इसलिए स्तनपान हर दृष्टि से शिशुओं और महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है ।
-प्रिया राजावत, जयपुर
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इंफेक्शन से बचाव
स्तनपान शिशुओं और माताओं दोनों के लिए लाभकारी है। इससे शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही साथ माता को यह मधुमेह तथा कैंसर जैसी बीमारियों से बचाता है। माता के दूध के संघटक आदर्श रूप से शिशु के आंतों के अनुकूल होता है और आसानी से पच जाता है। यह शरीर के तापमान को सामान्य रखने में मदद करता है। इससे माता और शिशु के बीच भावनात्मक मजबूती आती है। मां का दूध शिशु को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाता है। माता के दूध में पॉलीअनसेचुरेटेड वसीय अम्ल होते हैं, जो शिशु के मस्तिष्क विकास में मदद करते हैं। स्तनपान माता के गर्भाशय को यथास्थिति में पहुंचने में मदद करता है। स्तनपान प्रसवोत्तर अवसाद से बचाता है, वजन नियंत्रित करता है साथ ही हड्डियों को कमजोर होने रोकता है तथा हृदय संबंधी रोग से बचाता है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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भ्रांतियां दूर करें
1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए जागरूक करना है, क्योंकि वर्तमान में कई माताएं अब अपने शिशुओं को स्तनपान न कराते हुए बोतल से दूध पिलाने लगी हंै। उनका मानना है कि स्तनपान कराने से स्तन का आकर बिगड़ जाता है। साथ है उनकी सुंदरता भी खो जाती है, जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं है, यह मात्र भ्रांतियां हैं। स्तनपान तो प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो शिशु को निरोगी और स्वस्थ तो रखती ही है, साथ ही यह माता के लिए भी फायदेमंद है। स्तनपान कराने से मां स्वस्थ और भावनात्मक रूप से मजबूत होती है। साथ ही माताओं में स्तन कैंसर, डिंब कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। इसलिए माताओं को स्तनपान से जुड़ी भ्रांतियों से बचना चाहिए एवं अपने शिशु को स्तनपान ही कराना चाहिए.
-सुदर्शन सोलंकी, मनावर, धार, मप्र
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नियमित कराएं स्तनपान
शिशुओं के संपूर्ण शारीरिक विकास एवं एवं उनकी रोगों से रक्षा के लिए स्तनपान बहुत जरूरी है। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमती बढ़ती है। स्तनपान से वंचित शिशु बहुत कमजोर एवं रोगी होते हैं। इसलिए माताओं को अपने शिशु को स्तनपान नियमित रूप से कराना चाहिए।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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भावनात्मक रिश्ते को मजबूती
स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। इससे स्तनपान कराने वाली मां और शिशु के बीच में भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। इसके अलावा मांग के दूध में प्राकृतिक रसायन मौजूद होते हैं जो शिशु के शरीर में मानसिक विकास में अत्यधिक सहायक होते हैं। मां का दूध सुपाच्य और बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होता है।
-अमनदीप बिश्नोई, सूरतगढ़
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स्तन कैंसर का खतरा कम
स्तनपान से शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जो शिशु को बीमारियों से बचा कर उनके विकास में सहयोग करती है। स्तनपान कराने से माताओ की शारीरिक संरचना सही रहती है तथा स्तन कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है ।
-शुभदा भार्गव, अजमेर
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बच्चों की मृत्यु दर में कमी
किसी भी शिशु के लिए शुरुआती 6 महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें से केवल मां का दूध ही कारगर होता है। केवल यह दूध ही शिशु के लिए सबसे ज्यादा पाचक होता है। मां को भी स्तनपान कराने से भावनात्मक संबल मिलता है। मां के दूध में विशेष विटामिन और पोषक पदार्थ होते हैं, जो शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करते हैं। विभिन्न शोधों में यह भी पाया गया है कि मां का दूध पीने वाले शिशुओं में मृत्यु दर और कुपोषण का स्तर बहुत कम पाया गया। विभिन्न राज्य सरकारों को स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अमृत बैंक और मिल्क बैंक खोलने जैसी पहल करनी चाहिए।
-अंकित शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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अमृततुल्य है स्तनपान
मां का दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है। शिशु को छह माह तक स्तनपान जरूर कराना चाहिए। मां के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा, एंटीबॉडी और ऐसे प्रतिरोधक कारक मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। प्राय: ऐसी भ्रांतियां चलन में हंै कि स्तनपान से माता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होता है। स्तनपान,मां का वजन कम करने में सहायक होता है, साथ ही स्तनपान मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है। स्तनपान कराने वाली मां को पोषक तत्वों से युक्त संतुलित आहार अवश्य करना चाहिए।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती
स्तनपान शिशु और माताओं के लिए अति लाभकारी है। शिशु को 12 महीने तक स्तनपान कराने से उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। अत: माताओं को पौष्टिक आहार ग्रहण करते हुए शिशुओं को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।
-राधा किशन रावल, सिरोही
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सही रहता है स्वास्थ्य
स्तनपान एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। स्तनपान कराने से शिशु और माताओं का स्वास्थ्य सही रहता है। स्तनपान शिशुओं का संतुलित भोजन है। इससे पेट सही रहता है। दस्त, पेट दर्द तथा अन्य बीमारियों का खतरा नहीं होता। मां के भी स्तनों में सूजन तथा स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
विजय गुप्ता, अजमेर
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संतुलित रहते हैं हार्मोन
मां का दूध बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और पौष्टिक है। स्तनपान से मां और शिशु दोनों भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं। मां का स्वास्थ्य भी ठीक रहता हैं। बच्चे के जन्म के बाद मां के स्तन से दूध आना प्राकृतिक है। उसको रोकना रोग को आमंत्रण देना है। इससे ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका रहती हैं। कई महिलाएं दूध को सुखाने के लिए दवा लेती हंै, ताकि सौंदर्य बना रहे, लेकिन इससे नुकसान होता है। स्तन में गांठ बन जाती है और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शिशु को दूध पिलाने से हार्मोन संतुलित रहते हैं। माता शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहती है।
-डॉ. आर. के. बाजपेयी, इंदौर
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दोनों के लिए लाभदायक
मां का दूध बच्चों के लिए अमृत है, लेकिन आज बदलते परिवेश में कई महिलाएं स्तनपान से बचती हंै। उन्हें समझना चाहिए कि मातृत्व का गौरव सबको नहीं मिलता। यह ईश्वर का दिया हुआ वरदान है । स्तनपान से मां और बच्चों के बीच एक भावनात्मक संबंध स्थापित होता है। साथ ही ब्रेस्टफीडिंग माता के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है और बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसलिए स्तनपान मां और बच्चे दोनों ही के लिए बहुत लाभदायक है
-उमाकांत शर्मा, डग, झालावाड़
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शिशु का नैसर्गिक अधिकार
स्तनपान एक बालक का नैसर्गिक अधिकार भी है। यह दूध सुपाच्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला तथा विकारों को समाप्त करने वाला होता है। साथ ही यह महिला को अनेक प्रकार के रोगों मानसिक जैसे अवसाद, ब्रेस्ट कैंसर आदि से बचाने में भी लाभकारी है। डॉक्टर के साथ-साथ घर की समझदार वृद्ध महिलाओं का भी यह दायित्व बनता है कि वह गर्भस्थ महिलाओं को स्तनपान के महत्त्व को समझाएं। इस तरह के उपाय भी बताएं जिससे स्तनों में पर्याप्त दूध बन जाए और शिशु दूध से वंचित न रहे। सरकार को सार्वजनिक स्थलों और लंबी दूरी के सार्वजनिक वाहनों में स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए विशेष सुविधा होनी चाहिए, जिससे वे बिना संकोच के अपने बच्चों को स्तनपान करा सकें। महिलाओं को भी चाहिए कि वे अपने करियर और फिगर के साथ अपने दूध मुंहे बच्चों का भी पर्याप्त ध्यान रखें। अब तो सरकार ने मातृत्व अवकाश की अवधि भी बढ़ा दी, जिसका उन्हें यथोचित लाभ उठाना चाहिए।
– एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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लाभदायक है स्तनपान
स्तनपान शिशुओं के लिए के शारीरिक विकास में मददगार होता है और गंभीर बीमारियों के संक्रमण से बचाव करता है। शिशुओं के लिए माता का दूध संजीवनी से कम नहीं। माताओं के लिए भी शिशुओं को स्तनपान कराने के कई फायदे होते हैं।
शुभम् दुबे, इंदौर मध्यप्रदेश
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अमृत है मां का दूध
मां का दूध शिशुओं के लिए अमृत माना गया है, क्योंकि यह पूर्णत: सुरक्षित है। मां के दूध में खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा,अनेक पोषक तत्वों के साथ -साथ ऐसे तत्व मौजूद रहते हैं जो नवजात शिशुओं के सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हैं। मां के दूध में रोगाणु नाशक तत्व होते हैं, जो शिशु को इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। सर्दी -जुकाम, छाती-कान के संक्रमण से भी रक्षा करता है। स्तनपान से ही शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है। मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होता है। स्तनपान कराने से प्राकृतिक रूप से महिला का वजन नियंत्रित होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवरी के कैंसर होने की आशंका भी कम हो जाती है। इसीलिए माताओं के लिए अपने शिशुओं को जन्म से छह महीने तक स्तनपान कराना आवश्यक होता है।
-विभा गुप्ता, बैंगलुरु
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जच्चा-बच्चा के लिए स्तनपान सर्वश्रेष्ठ
नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है। मां का दूध ऐसा सर्वोत्तम आहार होता है, जिसमें सभी पोषक तत्व से मौजूद होते हैं। ये सभी तत्व शिशुओं के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। स्तनपान कराने से शिशुओं मे बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान कराने से शिशुओं और माताओं के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होता है। अपनी शारीरिक रचना बिगडऩे की फिक्र करने वाली महिलाएं स्तनपान कराने से बचने लगी हैं। ऐसी महिलाओं को स्तन अथवा गर्भाशय के कैंसर का खतरा अधिक हो जाता है। शिशुओं के साथ अपने भी उत्तम स्वास्थ्य के लिए माताओं के लिए भी स्तनपान लाभकारी है।
-छाया कानूनगो, बेंगलूरू, कर्नाटक
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रोगों का खतरा कम
स्तनपान शिशुओं को जन्म से ही इम्युनिटी प्रदान करता है, जिससे इन्फेक्शन का डर नहीं रहता और जीवन में होने वाले रोगों का खतरा कई हद तक टल जाता है। नियमित स्तनपान करवाने से गर्भावस्था में बढ़ा हुआ वजन कम होता है।
-अदिति शर्मा, जयपुर
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माता का दूध अमृत समान
स्तनपान से शिशु की जानलेवा बीमारियों जैसे दस्त और निमोनिया का खतरा एक तिहाई तक कम हो जाता है। इसका ज्वलंत उदाहरण यह है कि कोरोना संक्रमित मां के स्तनपान कराने के बाद भी शिशु कोरोना संक्रमण से बच गए। स्तनपान करवाने वाली मां का वजन नियंत्रित रहता है। ब्रेस्ट व ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करता है। साथ ही मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। माता का दूध शिशु के लिए अमृत पान के समान माना गया है।
-कल्पना अरोड़ा, जोधपुर
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