हालांकि, यह भी सच है कि आम आदमी के हाथ से तकनीक का यह घोड़ा कब बेलगाम हो जाए, कहना मुश्किल है। इसी की आड़ में सरकारों को ऐसे मौके मिल रहे हैं, जिनकी बिना पर सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताजा मामला बिहार सरकार का है, जिसने आदेश जारी कर सरकार, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लिखे गए सोशल मीडिया पोस्ट को साइबर अपराध के दायरे में रख दिया है। उनके खिलाफ अब मानहानि के मुकदमे की कार्रवाई की जाएगी। यानी, जो सरकार जनता के लिए बनी है, अधिकारी जो जनता की सेवा के लिए तैनात हैं और जिनकी हस्ती जनता के प्रतिनिधि होने के कारण ही है, उन पर यदि जनता कोई ऐसा कमेंट करती है जो उन्हें नागवार गुजरे, तो उन पर मानहानि का मुकदमा किया जाएगा। दूसरी तरह से ऐसा भी कहा जा सकता है कि सरकारों ने अपनी जनता का चुनाव शुरू कर दिया है। यदि आप उसके साथ नहीं हैं तो ‘शत्रु’ हैं। जबकि, लोकतंत्र में चुने गए प्रतिनिधि उनके लिए भी उतने ही उत्तरदायी होते हैं, जिन्होंने उन्हें नहीं चुना हो।
मानहानि का मुकदमा करना कोई नया प्रावधान नहीं है। गुलामी के दौर में अंग्रेज सरकार और अधिकारियों ने जनता की अभिव्यक्ति को दबाए रखने के रास्ते के तौर पर ऐसा कानून बनाया था। आजादी के बाद जब-तब इस कानून को हटाने की मांग भी उठती रही है। लेकिन, बिहार सरकार का यह खास आदेश सोशल मीडिया पोस्ट के लिए आया है, क्योंकि सरकारों को सबसे ज्यादा खतरा अब इसी से महसूस हो रहा है। बिहार में यह आदेश भले ही अब आया हो, पर कई राज्य सरकारों ने सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों को जेल की हवा खिलाना पहले ही शुरू कर दिया है। दो दिन पहले अमरीका के नए राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडन का भाषण गौरतलब है कि ‘मेरी बात ध्यान से सुनों और अगर असहमत रहो तो समझो लोकतंत्र है।’