भारत कपास के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है। यह भी एक तथ्य है कि भाारतीय कपड़ा उद्योग का देश के औद्योगिक उत्पादन में 11 प्रतिशत, निर्माण क्षेत्र में 14 प्रतिशत, जीडीपी में 4 प्रतिशत व देश की निर्यात आय में 12 प्रतिशत योगदान है। इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की संभावनाएं भी सर्वाधिक हैं। यह और बात है कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों से कपड़ा एवं टेक्सटाइल उद्योग सरकार की ओर से तय लक्ष्य पूरे नहीं कर पा रहे।
अमरीका के राष्ट्रीय खुदरा संघ के ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में अमरीका टेक्सटाइल व कपड़ों की बिक्री में नई ऊंचाइयां छू सकता है। हालिया वर्षों में अमरीका के दो बड़े खुदरा स्टोर वॉलमार्ट इंक और टारगेट कॉर्प ने बेहतर प्रदर्शन किया है। आने वाली छुट्टियों के दौरान अमरीका में वस्त्र आयात बढऩे की संभावना है। इससे भारत को अधिक निर्यात करने का अवसर मिलेगा। भारत से टेक्सटाइल का सर्वाधिक निर्यात अमरीका को और उसके बाद यूरोपीय संघ को किया जाता है। लेकिन वर्ष 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार भारत से यूरोप को होने वाला निर्यात 25 प्रतिशत रहा जबकि अमरीका को टेक्सटाइल निर्यात 21 प्रतिशत ही रहा। रुपए के अवमूल्यन से भी टेक्सटाइल आयात करने वाले देश भारत से आयात को प्राथमिकता देते हैं। साथ ही अमरीका में बढ़ती बिक्री ने भारतीय टेक्सटाइल निर्यातकों के अच्छे प्रदर्शन की सम्भावनाएं बढ़ा दी हैं।
भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार का समर्थन जरूरी है। निर्यातकों को मालूम रहे कि उनका उत्पाद किस गति से आगे बढ़ रहा है। इतना ही नहीं ऐसे निर्यातकों को बैंकों से प्राथमिकता से ऋण भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्हें परेशानी नहीं हो, इसे भी देखा जाए। भारत और अमरीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2017 में अमरीका से भारत को 48.3 खरब डॉलर का निर्यात किया गया जबकि अमरीका ने भारत से 77.4 खरब डॉलर का आयात किया। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी के अनुसार वर्ष 2017 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.7 रही जो कि 2018 की पहली तिमाही में 8.2 दर्ज की गई।
अमरीका की नेशनल रिटेल फेडरेशन भारत के टेक्सटाइल एवं वस्त्र निर्यातकों को कई तरह से प्रोत्साहन दे रही है। बड़ी जरूरत इस बात की है कि हमारी सरकार तो इन्हें प्रोत्साहन दे ही, भारतीय निर्यातकों को भी चाहिए कि कारोबार बढ़ाने का यह सुनहरा अवसर हाथ से न जाने दें।