विज्ञान और तकनीक ने कई क्षेत्रों में चमत्कार किए हैं। मुश्किल यह है कि मनुष्य की मूलभूत समस्याएं अब भी बनी हुई हैं। साक्षरता में अपूर्व वृद्धि हुई है, फिर भी अच्छाई को बढ़ावा नहीं मिला है। इसके स्थान पर केवल मानसिक अशांति और असंतोष में ही बढ़ोतरी नजर आई है। निस्संदेह भौतिक विकास नई ऊंचाई छू रहा है, लेकिन मानव के लिए यह काफी नहीं है। उसे मानसिक शांति भी चाहिए।
विडंबना यह है कि अभी तक हम शांति और सुख की प्राप्ति या पीड़ा पर काबू पाने में सफल नहीं हुए हैं। साफ है कि हमारे विकास में कोई गंभीर चूक हुई होगी। यदि हमने समय रहते उसे नहीं सुधारा, तो विनाशकारी परिणाम होंगे। विज्ञान और तकनीक के विरोध में नहीं हूं, पर यदि हम विज्ञान और तकनीक पर ही बहुत अधिक जोर देंगे, तो हमारा मानवीय ज्ञान और समझ के उस नेटवर्क से संपर्क टूटने का खतरा है, जो ईमानदारी और परोपकार का विकास करता है।