साझा कार्ययोजना और चीन पर सीधा निशाना

सातों बड़े देशों अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा ने कहा कि वे अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कोई महामारी दुनिया में कोरोना जैसी तबाही न फैला सके।

<p>साझा कार्ययोजना और चीन पर सीधा निशाना</p>

कोरोना और भविष्य की महामारियों के खिलाफ साझा कार्ययोजना की पहल जी-7 देशों की शिखर बैठक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। ब्रिटेन के कॉर्नवाल में तीन दिन की बैठक के आखिरी दिन रविवार को इस कार्ययोजना पर जल्द से जल्द अमल का संकल्प लिया गया। संगठन के सातों बड़े देशों अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा ने कहा कि वे अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कोई महामारी दुनिया में कोरोना जैसी तबाही न फैला सके। कार्ययोजना का एक मकसद भविष्य में किसी भी महामारी के टीकों को 100 दिन के अंदर विकसित करना भी है।

कोरोना महामारी के दौरान दुनिया को पहली वैक्सीन के लिए करीब 10 महीने इंतजार करना पड़ा था। शिखर बैठक में भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण कोरिया को बतौर मेहमान आमंत्रित किया गया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए ‘एक धरती, एक स्वास्थ्यÓ का मंत्र दिया। उन्होंने भविष्य में महामारियों की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता, नेतृत्व और तालमेल का आह्वान करते हुए लोकतांत्रिक तथा पारदर्शी समाजों की विशेष जिम्मेदारी पर जोर दिया। डेढ़ साल से कोरोना ने दुनिया का जो हाल कर रखा है, उसे देखते हुए स्वाभाविक है कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, क्षेत्रीय समस्याओं आदि के बदले महामारी का मुद्दा इस शिखर बैठक के एजेंडे में सबसे ऊपर रहा। विभिन्न देशों को अमरीका ने कोरोना वैक्सीन की 50 करोड़, जबकि ब्रिटेन ने 10 करोड़ डोज देने की घोषणा की है। जी-7 के बाकी देश भी इसी तरह की उदारता दिखाएं तो दुनिया में टीकाकरण और तेज होने का रास्ता खुल सकता है। फिलहाल कोरोना को कुचलने के लिए ज्यादा से ज्यादा आबादी को टीकाकरण के दायरे में लाना जरूरी है। अफसोस की बात है कि अब तक दुनिया में सिर्फ छह फीसदी आबादी को दोनों डोज दी जा सकी हैं। भारत में यह आंकड़ा साढ़े तीन फीसदी से भी कम है।

इस बार जी-7 शिखर बैठक में एक और महत्त्वपूर्ण पहल चीन के खिलाफ मजबूत मोर्चाबंदी के रूप में सामने आई। चीन को इस बैठक से दूर रखा गया। उसकी विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाने के लिए जी-7 के नेताओं ने बिगुल बजा दिया है। वे ‘बिल्ड बैक बेटर वल्र्ड’ (बी3डब्ल्यू) नाम की ऐसी प्रणाली विकसित करने की तैयारी में हैं, जिसके तहत मध्यम आय वाले देशों को बुनियादी ढांचा खड़ा करने में मदद दी जाएगी। जाहिर है यह प्रणाली सीधे तौर पर चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना पर निशाना है, जिसके तहत चीन कई देशों को रेल सेवाओं, सड़कों और बंदरगाहों के लिए कर्ज दे चुका है। आरोप है कि इसके जरिए चीन गरीब और छोटे देशों को विकास के सपने दिखाकर कर्ज के जाल में फंसा रहा है। चीन की तरह रूस को भी शिखर बैठक से दूर रखा गया। इस उपेक्षा से अगर इन दोनों के बीच नए समीकरण बनते हैं तो दुनिया में नई चिंता पैदा हो सकती है।

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