जो प्रार्थना करता है, वह एक प्रेमी की तरह होता है। ऐसे प्रेमी की तरह जो हमेशा अपने हृदय में उसे धारण किए रहता है, जिसे वह प्रेम करता है। वास्तव में, हमारे लिए प्रार्थना ईश्वर से वार्ता का माध्यम बनती है। हमारे जीवन की हर खुशी, उनकी प्रशंसा का कारण बनती है। हर कठिनाई हमारे लिए एक अवसर होती है, जहां हम ईश्वर से सहायता की मांग करते हैं। प्रार्थना सदैव हमारे जीवन में सजीव बनी रहती है। इसके माध्यम से हम ईश्वर की अनंत कृपा का एहसास करते हैं। प्रार्थना मानव के हृदय में आशा उत्पन्न करती है।
हम प्रार्थना करते हुए येसु से मुलाकात करते हैं। यह प्रार्थना ही है, जो हमारे जीवन में परिवर्तन लाती है, हमारे क्रोध को शांत करती है। प्रार्थना हमारी खुशी दोगुनी करती है और हमें क्षमा करने की शक्ति प्रदान करती है। जब हम क्रोधित और असंतुष्ट हों, तो ऐसे समय में हम कहें, ‘ईश्वर आप कहां हैं?’ ‘मैं कहां हूं?’ और ईश्वर आप को आशा से भर देंगे और आप नकारात्मक भाव से रहित होकर आगे बढ़ सकेंगे।
असल में प्रार्थना सकारात्मक होती है, जो हमें आगे ले चलती है। प्रार्थना से शुरू किया हुआ दिन हमें अपने जीवन को साहस से जीने में मदद करता है। हम जिन मुसीबतों का सामना करते हैं, वे हमारी खुशी के मार्ग में चुनौतियां नहीं, बल्कि ईश्वर से मिलन का अवसर बनती हैं। जो ईश्वर के सान्निध्य में रहता है, वह अपने जीवन में साहस, स्वतंत्रता और अधिक खुशी का अनुभव करता है।