यह भी पढ़ें- कोरोना पर करना है कंट्रोल, तो नाइट कर्फ्यू की जगह लाकडाउन पर विचार करें यूपी सरकार दरअसल, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के रहने वाले फैजान अपने रिश्तेदार को लेकर नोएडा के बड़े अस्पतालों में कोरोना ग्रसित मरीज का इलाज कराने आए। जब वह अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। फैजान का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने हमसे साफ-साफ बोल दिया है कि कोविड वार्ड में कोई बेड खाली नहीं है।
अस्पतालों में बेड की तलाश में धक्के खा रहे मरीज ऐसा ही कुछ हाल दूसरे मरीज के तीमारदारों का है। जुबेर बताते हैं कि वह अपने मरीज को लेकर पहले फोर्टिस अस्पताल लेकर गए। वहां उन्हें एमरजेंसी में भर्ती कर लिया, लेकिन बाद में वहां से बेड न होने का कारण बताकर अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। जुबेर ने आसपास के सभी अस्पतालों से संपर्क किया, लेकिन उन्हें कहीं कोई मदद नहीं मिली। परिवार मरीज के साथ-साथ नोएडा शहर के अस्पतालों में बेड की तलाश में धक्के खाते रहे।
सीएमओ का अपना दावा जब स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ दीपक ओहरी से इस अव्यवस्था पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने दावा किया की जिले में कोविड-19 मरीजों के लिए पूरी व्यवस्था है। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दावा किया कि निजी अस्पतालों से संपर्क कर 50 प्रतिशत का कोटा निर्धारित करेंगे। प्रशासन भले ही लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हकीकत क्या है यह तो मरीज और उसके रिश्तेदार खुद महसूस कर रहे हैं।