आवश्यक वस्तुओं में शामिल करने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि अदालत केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह पेट्रोलियम पदार्थों को आवश्यक वस्तुओं में शामिल करे और इसकी कीमत इसी के हिसाब से तय करे। पूजा महाजन के वकील ए मैत्री ने अदालत से कहा कि सरकार ने अप्रत्यक्ष तरीके से तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों को खुली छूट दे रखी है कि वह अपनी सुविधा के हिसाब से इनकी कीमत तय करे। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत तय करने में सरकार की भी सहमति है, इसका पता इस बात से चलता है कि कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले 22 दिनों तक ईंधन कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी। स्पष्ट लगता है कि चुनावों के मद्देनजर ऐसा किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत बढ़ने की बात सही नहीं
याचिका में कहा गया है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की बात कह कर लोगों को गुमराह करती है। सच तो यह है कि जब कच्चे तेलों की कीमत घटती है तब भी देश में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी नहीं होती। अगर सरकार ने यह मांग स्वीकार कर ली तो तेल के दाम आधे हो सकते हैं।