इलेक्ट्रॉनिक से पहले डिजिटल मीडिया की गाइडलाइन देखना जरूरी: केंद्र

Highlights.
 
– केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दायर कर रखा अपना पक्ष
– इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के लिए मानक तय करने को लेकर होनी है सुनवाई
– News Broadcasters Association के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नियम-कानून पहले से मौजूद

<p>केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर रखा पक्ष</p>
नई दिल्ली।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए मानक तय करने को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुनवाई से पहले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर हलफनामा दायर कर अपना पक्ष रखा है।
केंद्र सरकार के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पहले डिजिटल मीडिया (Digital Media) के मुद्दे पर गौर करना चाहिए। मेनस्ट्रीम (मुख्यधारा) मीडिया में प्रकाशन और प्रसारण सिर्फ एक बार होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया की विस्तृत दर्शक और पाठक संख्या असीमित है। इसमें व्हाट्स एप (Whats app), ट्विटर (Twitter), इंस्टाग्राम (Instagram), यू-ट्यूब (You Tube) और फेसबुक (Facebook) जैसे कई अन्य सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए खबर या वीडियो वायरल (Viral Video) होने की संभावना रहती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को गाइडलाइन (Guideline) अगर तय करना है, तो डिजिटल मीडिया के गंभीर प्रभाव और क्षमता को देखते हुए इसे पहले डिजिटल मीडिया पर फोकस करना चाहिए।
केंद्र ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को लेकर पहले से पर्याप्त रूपरेखा और न्यायिक घोषणाएं मौजूद हैं। केंद्र ने अपने हलफनामा में कहा, याचिका केवल एक खास न्यूज चैनल तक सीमित है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को मीडिया के लिए गाइडलाइन जारी करने को लेकर एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) या समिति के गठन की कवायद नहीं करनी चाहिए। बोलने की स्वतंत्रता और जिम्मेदार पत्रकारिता के संतुलन का क्षेत्र पहले से वैधानिक प्रावधानों और पिछले निर्णयों से संचालित होता है।
वहीं, इस मुद्दे पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की ओर से भी हलफनामा दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी विशेष समुदाय के सांप्रदायिकता के आरोपों के बारे में निजामुद्दीन मरकज मामले में समान मुद्दों पर याचिका प्रधान न्यायाधीश की अदालत में लंबित है। एनबीए के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियंत्रित करने वाले नियम-कानून पहले से बने हुए हैं। यही नहीं, पहले से इस संबंध में न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड रेगुलेशन (एनबीएसआर) भी है। इसमें पूरी तरह से स्वतंत्र नियामक निकाय न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) स्थापित करने की योजना है। यदि एनबीएसए को पता चलता है कि कोई भी प्रसारण उनके आचार संहिता या नियमों के खिलाफ है, तो इसकी जांच होती है। इसमें चैनल के पक्ष को भी सुना जाता है। दोषी पाए जाने पर प्रसारणकर्ता पर अधिकतम एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा एनबीए ने सुप्रीम कोर्ट को लाइसेंस के निरस्तीकरण या निलंबन के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कदम की जानकारी भी दी है। इसमें प्रसारकों को सेंसर करने का प्रावधान भी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, चूंकि प्रिंट मीडिया से अलग है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के नियंत्रण के लिए नियम-कायदे पहले से मौजूद हैं।
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