AAP ने नोटबंदी को बताया देश का सबसे बड़ा सुनियोजित घोटाला, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर सरकार को घेरा

‘आप’ नेता राघव चड्ढा और दिलीप पांडे ने डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए, नोटबंदी और पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा इजाफा सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरा और गंभीर आरोप लगाए।

<p>AAP ने नोटबंदी को बताया देश का सबसे बड़ा सुनियोजित घोटाला, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर सरकार को घेरा</p>

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और केंद्र सराकर के बीच राजनीतिक रस्साकसी के बीच एक बार फिर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी के नेता और दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के प्रभारी राघव चड्ढा ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। राघव ने डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए, नोटबंदी और पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा इजाफा सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरा और गंभीर आरोप लगाए। बता दें कि राघव ने कहा कि 2014 में जब मोदी जी की सरकार बनी थी तब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 108 डॉलर प्रति बैरल थी। साथ ही 2014 से 2018 के बीच कुछ समय ऐसा भी रहा जब कच्चे तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। लेकिन मोदी सरकार ने देश की जनता को रत्ती भर भी इसका फायदा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि देश की जनता को इसका फायदा मिलना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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‘आप’ ने सरकार पर लगाए गंभीर

बता दें कि राघव चड्ढा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने चार वर्ष के कार्यकाल में पेट्रोल पर लगभग 200 प्रतिशत और डीजल पर 400 प्रतिशत अलग-असग समय पर 12 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा-बढ़ा कर अपनी और अपने मित्रों की जेब में डाल दिया। चड्ढा ने कहा कि एक्साइज ड्यूटी के माध्यम से सरकार ने जनता के पैसे की चोरी की जिससे खजाने में 10 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। दूसरी तरफ उत्तर-पूर्व दिल्ली लोकसभा के प्रभारी दिलीप पांडे ने भी सरकार पर जमकर आरोप लगाए। पांडे ने कहा कि मोदी सरकार के नोटबंदी का फैसला आजाद भारत के 70 वर्ष के इतिहास में सबसे बड़ा (लगभग 8 लाख करोड़ रुपए) एक सुनियोजित घोटाला है। उन्होंने आरबीआई का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने दावा किया था कि लगभग 15 लाख 41 हजार करोड़ के नोट चलन में हैं, जिसमें से लगभग 15 लाख 32 हजार करोड़ के नोट वापस आ गए। जबकि इस आंकड़े में सहकारी बैंकों का पैसा शामिल नहीं है। दिलीप पांडे ने सवाल उठाया कि जब सारा पैसा वापस आ गया तो फिर कालाधन कहां गया, जिसके बारे में मोदी सरकार कहती फिर रही थी। उन्होंने कहा कि जनता सरकार से सवाल पूछ रही है लेकिन जवाब कोई नहीं दे रहा है। पांडे ने एक और सवाल पूछते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि नए नोटों को छापने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए खर्च दिए। क्या यह पैसा किसी नेता की जेब से गया? नहीं, बल्कि देश की गरीब जनता का पैसा बर्बाद किया गया है।

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