परिवार से दूर मजदूरों को घर पहुंचाने की व्यवस्था की पुलिस ने

परिवार से दूर मजदूरों को घर पहुंचाने की व्यवस्था की पुलिस ने

<p>परिवार से दूर मजदूरों को घर पहुंचाने की व्यवस्था की पुलिस ने</p>

नीमच। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को लेकर देशभर में लॉकडाउन के चलते पूरे बाजार बंद और कामकाज ठप हो गए है। ऐसे में मजदूर वर्ग का अपने-आप जीवन निर्वाह करना कठिन हो गया है। इन निर्धनों की सहायता के लिए कई सामाजिक संगठन आगे आए है। लेकिन पुलिस ने ऐसे बूरे दौर में भी अपनी मानवीयता और संवेदनाओं का परिचय देते हुए। शहर की बस्तियों और फुटपाथ पर रहने वाले निर्धनों को राशन बांटा है। वहीं मजदूरी करने दूर-दराज से आए फंसे मजदूरों की भी खाने की व्यवस्था कर अब उन्हें घर पहुंचाने को नेक कार्य शुरू किया। जिसके बाद मायूस मजदूरों के चेहरों पर भी खुशी लौट आई है।

सीएसपी राकेश मोहन शुक्ल ने बताया कि मानव जाति पर इस खतरे के समय में पूरा देश एक है और पुलिस भी अपनी मानवीय दृष्टिकोण को सामने लाकर काम कर रही है। प्रशासन की पहल पर ग्राम बागपिपल्या, हिंगोरिया और शहर की बस्ती में करीब 125 मजदूर लोगों को पुलिस की टीम द्वारा राशन वितरित किया गया है। जिसमें पांच किलो चावल या गेंहू, दो किलो दाल, तेल व अन्य सामान वितरित किया गया है। यह वह वर्ग है, जो रोज कमता और खाता है, अभी काम बंद होने के बाद उनके खाने के लाले पड़ गए थे।

मजदूरों ने प्रशासन को दिया धन्यवाद
मजूदर पाटन निवासी सोहन पिता दल्लाजी मईड़ा ने बताया कि चार माह से नीमच में रहकर मजदूर कर रहा था। लेकिन अभी हालत बहुत खराब हो गए है। काफी दिन से मजदूरी नहीं कर रहे है। मजदूरी कर जो पैसा कमाया था, वह भी खर्च हो गया है। अब वह घर जाना चाहते है, घर जाने के लिए भी पैसा नहीं था। इस पर शासन ने उन्हें घर भेजने की सुविधा की है और भोजन भी दिया है। जिसके लिए वह पुलिस और प्रशासन के शुक्रगुजार है। वहीं मुकेश पिता बहादुर सिंह कटारा निवासी पाटन समीप गांव बावलिया पाड़ा और रंगू पिता नवला जी, इसकी पत्नी बसंती परिवार व मजदूर करीब ४०-५० थे। महाराणा बंगले में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि अभी हालत इतने खराब है कि वह सड़क किनारे भी नहीं रह सकते है। इसीलिए उन्हें गांव भेजकर सरकार पुण्य का कार्य कर रही है। गांव में उनकी छोटी-मोटी खेती है, जहां वह पेट भर लेंगे।

पांच सौ मजदूरों को पहुंचाया उनके घर
सीएसपी शुक्ल ने बताया कि कई मजदूर वर्ग मजदूरी करने के लिए दूर-दराज से आते है। अभी लॉक डाउन की स्थिति में सभी काम बंद हो गए है। अब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा है। वह बिना साधन के अभाव में पैदल ही अपने घर के लिए रवाना हो गए है। ऐसे ही करीब ५०० मजदूरों को हाईवे और रेल पटरी रास्ते से एकत्रित किया है। जिन्हें उनके घर भेजा जा रहा है। खासकर रतलाम, बाजना, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, झाबुआ, जोबट के आदिवासी मजदूर वर्ग है। जिन्हें पुलिस कंट्रोल रूम पर एकत्रित कर साधन कराकर उनके गृह जिले भेजा रहा है।

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