लॉक डाउन के चलते शहर में दूध हुआ लॉक

– पशुपालक मक्खन और मावे से बना रहे हैै सेंहत

<p>लॉक डाउन के चलते शहर में दूध हुआ लॉक</p>

नीमच। कोरोना से बचाव के लिए हुए लॉकडाउन का बुरा असर ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों के दूध के कोरोबार पर पड़ा है। सामान्य दिनों की अपेक्षा लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग में 50 से 60 प्रतिशत कमी आ गई है। लेकिन कि सानों और पशुपालकों ने दूध की खपत कम होने पर दूध से घी निकाले का रास्ता निकाल लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब दूध से घी बनाने का काम तेज हो गया है। घी बना कर अभी पशुपालक रख रहे हैं और लॉकडाउन खुलने के बाद बेच अभी हो रहे, आर्थिक नुकसान की भरपाई करेंगे। लॉकडाउन के कारण मावा, पनीर मिठाई बनाने का काम बंद हो गया है। लॉकडाउन से पहले मावा, पनीर, मिठाई, शादी समारोह, होटल में लगातार मांग बनीं रहती थी।

रेवली देवली गांव निवासी गुड्डी बाई पति शांतिलाल नागदा का कहना है कि पहले दूध सरकारी दूध डेयरी, होटल, रेस्टोरेंट, मिष्ठान भंडारों पर जाता था। लेकिन अब शहर और गांव में गिनी चुनीं दूध डेयरी ही खुलीं है। जहां दूध की खपत बहुत कम हो रही है। ऐसे में जिन कि सानों और पशुपालकों के पास ज्यादा दूध उत्पाद हो रहा है। वह लोग अब घरों में ही घी बनाने का काम कर रहे हैं। घी लंबे समय तक रखा जा सकता है और दाम भी अच्छे हैं। बाजार में घी 800 रुपये प्रति कि लो बिकता है। जबकि दूध 50 रुपये प्रतिलीटर बिकता है।

10 लीटर दूध में निकलता है 300 ग्राम घी
किसान रामेश्वर नागदा ने बताया कि दूध दो लीटर दूध में 250 से 300 ग्राम तक घी बनता है। दस लीटर दूध में एक किग्रा घी बनता है। दूध को जमा कर दही बनाया जाता है। इसके बाद छाछ और माखन बनाया जाता है। माखन को गर्म करने के बाद घी बनाया जाता है। बाजार में एक कि लो घी 800 रुपये कि लो बिकता है। वहीं दूध 50 रुपये लीटर बिकता है।

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