जिंदा लोगों का कर दिया अंतिम संस्कार, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए गरीब

पहले मौत फिर हुआ पुर्नजन्म, मध्यप्रदेश में दो जिंदा लोगों का अंतिम संस्कार

धीरज बैरागी.
नीमच/जीरन. मध्यप्रदेश में दो जिंदा लोगों का अंतिम संस्कार कर लाखों रुपए की सहायता राशि के भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। जबकि यह लोग जिंदा होकर जैसे तैसे दो वक्त की रोजी रोटी कमाते हैं, आश्चर्य की बात तो यह है कि इन लोगों को तब इस बात का पता चला कि हम मर चुके हैं, जब यह लोग शासन की योजनाओं का लाभ लेने शासकीय विभागों में पहुंचे, उन्हें वहां यह कहकर लौटा दिया कि तुम्हारी मौत हो चुकी है, ऐसे में अब यह बाप-बेटे अपने आपको कैसे ङ्क्षजदा साबित करें, चिंता का विषय है। लेकिन जिम्मेदारों को इस बात की भनक लगने के बाद भी प्रशासन मौन बैठा है।
जीरन तहसील के गांव अखेपुर का मामला


नीमच जिले की जीरन तहसील के ग्राम पंचायत अमावली जागीर के गांव अखेपुर का मामला है, यहां के निवासी पिता-पुत्र को सचिव व सहायक सचिव ने मिलीभगत से कागजों में मृत घोषित कर गरीबों को भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया है। जबकि गांव अखेपुर निवासी शंकरलाल मीणा (31) और पृथ्वीराज मीणा (50) को जीवित होने के बाद भी इसी साल जनवरी 2021 में पता चला कि वे अब जिंदा नहीं है। क्योंकि कागजों में उनकी मृत्यु दो साल पहल हो चुकी है।
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अंत्येष्टी और दो लाख की सहायता राशि
मुख्यमंत्री संबल योजना के तहत जरूरतमंदों को मरने के बाद अंत्येष्टी और सहायता राशि मिलती है। ऐसे में इन लोगों की कागाजों में मौत बताकर पहले मुख्यमंत्री संबल योजना के तहत अंत्येष्टि सहायता की राशि निकाली, लेकिन इसके बाद भी मन नहीं भरा तो संबल योजना के तहत ही दो लाख रुपए की राशि भी स्वीकृत कर नीमच की पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में उक्त राशि ट्रांसफर की गई।
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राशन लेने गए तो पता चला हो गई मौत

अखेपुर निवासी शंकरलाल और उनके पिता पृथ्वीराज मीणा जब राशन लेने गए तो उन्हें पता चला कि उनकी मौत हो गई है, यह सुनकर वे भी हैरान रह गए, इसके बाद जब वे आयुष्मान योजना के तहत बनने वाले कार्ड के लिए गए तो वहां भी उन्हें यही जवाब मिला, यह सुनकर तो उनके पैरों के नीचे से जमीन भी खिसक गई। ऐसे में आयुष्मान योजन तो दूर की बात है उन्हें राशन मिलना भी बंद हो गया है। इसी के साथ वे कोरोना काल में सरकार द्वारा दी जाने वाली हितग्राही योजना सहित अन्य योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो गए हैं। अब वे जरूरतमंद होते ही भी दो वक्त की रोटी के लिए सैंकड़ों जतन करते हैं।
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खुलासा होते ही सचिव गायब


जब इस मामले में परिजनों को पता चला तो विवाद जैसी स्थिति निर्मित हुई, यह गड़बड़ करने वाले तत्कालीन पंचायत सचिव विजय जैन और सहायक सचिव योगेंद्रसिंह शक्तावत की मिलीभगत से हुआ है। जब मामले की परतें खुलने लगी तो सचिव विजय जैन ने अमावली जागीर से अपना ट्रांसफर करवा लिया।
पहले मौत फिर हुआ पुर्नजन्म

यह मामला जब गरमाने लगा तो दोनों बाप बेटे को समझाकर समीपस्त ग्राम पंचायत में उनका पुर्नजन्म कर दिया, यानि शंकरलाल मीणा को 3 साल की उम्र बता कर जन्म करवा दिया। फिर अगले साल उसी पंचायत में डाटा ट्रांसफर कर दिया। यानि अब ५० साल का व्यक्ति महज तीन साल का रह गया।
मैंने कोई गलती नहीं की है, मेरे द्वारा डाटा बना कर संबंधित के खाते में पैसे भी डाले गए है। उसके बाद मेरा ट्रांसफर हो गया। मुझे कम्पयुटर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। ये पूरी गलती नीमच जनपद की है। उन्होंने डाटा गलत चढ़ाया है।
-विजय जैन, तत्कालीन सचिव, ग्राम पंचायत अमावली जागीर
मुझे आए 15 दिन हुए हैं, मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है। मुझसे पहले वाले अधिकारी ने करा होगा, मैं दिखवाता हूं।
-अशोक जैन, वर्तमान सचिव, ग्रामपंचायत अमावली जागीर
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