विषम परिस्थितियों से लडऩे के बाद बेटे की बेहतरी बना लिया जीवन लक्ष्य

विषम परिस्थितियों से लडऩे के बाद बेटे की बेहतरी बना लिया जीवन लक्ष्य

<p>विषम परिस्थितियों से लडऩे के बाद बेटे की बेहतरी बना लिया जीवन लक्ष्य</p>

नीमच। हमारे हर मर्ज की दवा होती है मां, कभी डांटती है हमे तो कभी गले लगा लेती है मां, हमारी आंखों के आंसू, अपनी आंखों में समा लेती है मां…जी हां भारत देश में जहां स्त्री को मातृशक्ति और देवी स्वरूपा भी कहा जाता है, वहीं कुछ लोग इस शक्ति का मनोबल तोडऩे के लिए कई तरह के जतन करते हैं और किसी न किसी तरह से महिला को पुराने जमाने के समान जिंदगी जीने को मजबूर करते हैं, जिसमें कुछ महिलाएं दबकर अपनी जिंदगी को जीने पर मजबूर है। वही कुछ महिलाएं अपने आप को इससे अलग करके कुछ नया करके अपने कदमों पर खड़ी हो जाती है। ऐसी ही एक महिला संगीता नीमवाल है जिन्होंने एक सामान्य परिवार में जन्म लेने के साथ ही विषम परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद वर्तमान मे वह जिला सहकारी केंद्रीय बैंक नीमच में अकाउंटेंट के पद पर कार्य कर रही हैं, वही शादी के कुछ वर्षों बाद ही विषम परिस्थितियां होने के कारण उन्हें परिवार से अलग होना पड़ा और वर्तमान में वह अपने दस वर्षीय बेटे को माता और पिता दोनों का प्यार देते हुए एकल अभिभावक बनकर उसका लालन-पालन कर रही है। आज उनके जीवन का लक्ष्य सिर्फ अपने बेटे को बेहतर इंसान बनाना है, जिसके कारण उन्होंने दोबारा शादी के बारे में भी मन में ख्याल नहीं लाया।

पत्रिका से बातचीत करने के दौरान अपने बारे में संगीता नीमवाल ने बताया कि शुरू से ही उनकी पारिवारिक परिस्थितियां बड़ा परिवार होने के कारण अनुकूल नहीं रही थी। जिसके कारण बचपन से ही उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन स्वयं के हौसले के दम पर उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद बीकॉम एमकॉम की उसके बाद उन्होंने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में अकाउंटेंट के पद पर कार्य करते हुए एलएलबी और एल.एल.एम की डिग्रियां भी हासिल की। उन्होंने बताया कि महिलाओं को कभी भी अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए और सभी महिलाओं को अपने अंदर की शक्ति को पहचानते हुए मजबूती के साथ आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा चाहे आर्थिक समस्याएं सामने क्यों ना आए उसका डटकर मुकाबला करते हुए सफलता के नए मुकाम हासिल करना पहला ध्येय होना चाहिए और इसी के दम पर स्वयं के दम पर विगत 5 वर्षों से एकल अभिभावक का दायित्व निभाते हुए आमजन की धारणा को गलत साबित करते हुए आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। उन्होंने बताया कि 5 साल पहले आमजन द्वारा उन्हें कई तरह के उलहाने दिए जा रहे थे, लेकिन इन सब का डटकर मुकाबला करते हुए उन्होंने अपने आप को आर्थिक व सामाजिक मजबूती प्रदान करते हुए समाज के सामने साबित किया है। विषम परिस्थिति में आर्मीमेन पति के छोडऩे के बााद उन्होंने अपने आप को मजबूत किया और अपनी शिक्षा को भी ब्रेक नहीं दिया। जिसके बाद वह अपने बेटे को ही जीवन का लक्ष्य मानती है। उसे बेहतर शिक्षा देकर उसे काबिल बनाना है। बेटे के भविष्य को संवारने में उन्हें कभी दोबारी शादी करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। उनका बेटा ही उनके लिए सबकुछ है। उन्होंने महिलाओं को मातृ दिवस पर संदेश देते हुए कहा कि चाहे कितनी भी विकट परिस्थितियों के सामने क्यों ना आए अपने मनोबल को बनाए रखते हुए मजबूती के साथ बिना घबराए कठिनपरिस्थितियों का सामना करें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।

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