आरटीई के तहत निजी स्कूलों के बढ़ी छात्र संख्या
आरटीई लागू होने के बाद से जिले के २८३ निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाया गया। २०११-१२ में १९९८, २०१२-१३ में ३७९२, २०१३-१४ में ५५९०, २०१४-१५ में ७५७७, २०१५-१६ में १०१७८, २०१६-१७ में ९४६९, २०१७-१८ में १०३२९, २०१८-१९ में ११५०२, २०२०-२१ में १३४०१ और २०२१-२२ में १५६६५ छात्रों को सरकारी खर्चे पर निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया। २०१८-१९ तक कुल ६५ हजार से ज्यादा बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है।
वर्जन
शासकीय स्कूलों में अधिकांश गरीब वर्ग के बच्चे पढऩे आते हैं, आरटीई के तहत प्रति वर्ष 25 फीसदी बच्चों को शासकीय खर्चे से निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था के चलते सरकारी स्कूलों में प्रवेश संख्या लगातार हर साल कम होती जा रही है जिसकी वजह से जिले में निकट भविष्य में कई स्कूलों को अन्य स्कूलों में मर्ज करने की स्थिति बन गई है।
आनंद श्रीवास्तव, संभागीय सचिव मध्यप्रदेश शिक्षक संघ
आरटीई लागू होने के बाद से जिले के २८३ निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाया गया। २०११-१२ में १९९८, २०१२-१३ में ३७९२, २०१३-१४ में ५५९०, २०१४-१५ में ७५७७, २०१५-१६ में १०१७८, २०१६-१७ में ९४६९, २०१७-१८ में १०३२९, २०१८-१९ में ११५०२, २०२०-२१ में १३४०१ और २०२१-२२ में १५६६५ छात्रों को सरकारी खर्चे पर निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया। २०१८-१९ तक कुल ६५ हजार से ज्यादा बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है।
वर्जन
शासकीय स्कूलों में अधिकांश गरीब वर्ग के बच्चे पढऩे आते हैं, आरटीई के तहत प्रति वर्ष 25 फीसदी बच्चों को शासकीय खर्चे से निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था के चलते सरकारी स्कूलों में प्रवेश संख्या लगातार हर साल कम होती जा रही है जिसकी वजह से जिले में निकट भविष्य में कई स्कूलों को अन्य स्कूलों में मर्ज करने की स्थिति बन गई है।
आनंद श्रीवास्तव, संभागीय सचिव मध्यप्रदेश शिक्षक संघ