आरटीई बनी सरकारी स्कूलों की दुश्मन, दस साल में आधी हो गई प्रवेश संख्या

156000 हजार से घटकर 80024 हजार हुई छात्र संख्या

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अजय खरे.नरसिंहपुर. शिक्षा का अधिकार अधिनियम सरकारी स्कूलों की सेहत के लिए किस तरह से दुश्मन साबित हो रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आरटीई के चलते दस सालों में सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटकर आधी रह गई है। जिससे कई स्कूल बंद हो गए हैं और आगामी वर्षों में करीब 507 स्कूलों के बंद होने की स्थिति बन रही है।
156000 हजार से घटकर 80024 हजार हुई छात्र संख्या
आरटीई की वजह से सरकारी स्कूलों में हर साल छात्र संख्या में आ रही कमी का आंकड़ा चौंकाने वाला है। जिले में सरकारी स्कूलों में आरटीई लागू होने के बाद से प्रवेश संख्या १५६००० से घटकर ८००२४ रह गई है। वर्ष २०१०-११ में शासकीय मिडल स्कूलों में छात्रों की दर्ज संख्या १५६००० थी वर्ष २०१०-११ में आरटीई लागू होने के साथ ही साल दर साल बच्चों की प्रवेश संख्या में कमी आती गई। परिणामस्वरूप जिले में ५०० से ज्यादा स्कूल मर्ज होने की स्थिति बन रही है। इनमें छात्र संख्या कम होने की वजह से स्कूल बंद कर उन्हें दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा। मर्ज किए गए स्कूल के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में पदस्थ किया जाएगा।
आरटीई एडमिशन प्रक्रिया का सबसे बुरा प्रभाव सरकारी प्राइमरी स्कूलों पर पड़ा है । किसी भी निजी स्कूल की शुरुआती कक्षा में नर्सरी से लेकर उसकी छात्र क्षमता के 25 प्रतिशत छात्र संख्या के बराबर गरीब और दलित समुदाय के छात्र छात्राअंों को प्रवेश दिला कर शुल्क की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा किए जाने से अशासकीय स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। हालात यह हंै कि कई निजी स्कूल जो बंद होने की स्थिति में थे वे चलने लगे हैं। जबकि इनके पास न तो प्रशिक्षित डीएड, बीएड योग्यताधारी शिक्षक हैं और न अन्य सुविधाएं।
मर्ज हो सकते हैं 500 से ज्यादा स्कूल
जिले में ही करीब 500 सरकारी प्राथमिक शालायें और प्रोन्नत शिक्षा गारंटी स्कूल बंद होने या दूसरे स्कूल में मर्ज होने की कगार पर हैं । शिक्षा विभाग के लोगों की मानें तो पूरे प्रदेश में ३० हजार से ज्यादा स्कूल बंद हो सकते हंै । जिले में 507 स्कूल ऐसे हैं जहां दर्ज संख्या 20 से भी कम है, निकट भविष्य में इन स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाना तय है। शिक्षा विभाग के नियमानुसार प्राइमरी स्कूल में छात्र संख्या कम से कम 40 होनी चाहिए इससे कम होने पर दूसरे स्कूल में मर्ज किया जा सकता है।

फैक्ट फाइल
शासकीय स्कूलों में साल दर साल घटी छात्र संख्या
शैक्षणिक सत्र – दर्ज संख्या
2010-11 -156000
2011-12-133589
2012-13-128209
2013-14-122936
2014-15-114736
2015-16-105158
2016-17-98718
2017-18-9219
2018-19-86163
2019-20-83315
2020-21-80024
आरटीई के तहत निजी स्कूलों के बढ़ी छात्र संख्या
आरटीई लागू होने के बाद से जिले के २८३ निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाया गया। २०११-१२ में १९९८, २०१२-१३ में ३७९२, २०१३-१४ में ५५९०, २०१४-१५ में ७५७७, २०१५-१६ में १०१७८, २०१६-१७ में ९४६९, २०१७-१८ में १०३२९, २०१८-१९ में ११५०२, २०२०-२१ में १३४०१ और २०२१-२२ में १५६६५ छात्रों को सरकारी खर्चे पर निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया। २०१८-१९ तक कुल ६५ हजार से ज्यादा बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है।

वर्जन
शासकीय स्कूलों में अधिकांश गरीब वर्ग के बच्चे पढऩे आते हैं, आरटीई के तहत प्रति वर्ष 25 फीसदी बच्चों को शासकीय खर्चे से निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था के चलते सरकारी स्कूलों में प्रवेश संख्या लगातार हर साल कम होती जा रही है जिसकी वजह से जिले में निकट भविष्य में कई स्कूलों को अन्य स्कूलों में मर्ज करने की स्थिति बन गई है।
आनंद श्रीवास्तव, संभागीय सचिव मध्यप्रदेश शिक्षक संघ
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