अजय खरे. नरसिंहपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए पूरे देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में लॉक डाउन किया गया था। यहां के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने २१ मार्च की मध्यरात्रि से १४ दिन के लिए टोटल लॉकडाउन कर दिया था। बाद में जब पीएम मोदी ने देश भर में लॉक डाउन की घोषणा की तो फिर यहां लॉक डाउन १४ अप्रेल तक बढ़ गया। कलेक्टर सक्सेना ने यह फैसला तब लिया था जब पड़ोसी जिले जबलपुर में कोरोना के ४ पॉजीटिव मरीज पाए गए। जिले में यह संक्रमण दूसरी जगहों से न आए इसके लिए उन्होंने दूरदर्शिता दिखाते हुए २१ मार्च की मध्यरात्रि से टोटल लॉक डाउन कर दिया। आवागमन के सभी साधनों को बंद करा दिया। यहां तक कि ट्रेनों से उतरने और यहां से बाहर जाने पर भी रोक लगा दी गई। २७ मार्च तक सुबह ७ से १२ बजे तक केवल किराना, दूध और सब्जियों की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई। लेकिन जब ये देखा कि लोग इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक से पालन नहीं कर पा रहे हैं तो कलेक्टर ने दुकानें बंद करा दीं और फिर होम डिलेेवरी शुरू करा दी। जिले में किसी को भी अपने घर से निकलने की इजाजत नहीं है। दवाएं, सब्जियां, दूध और किराना लोगों को उनके घर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। फसलें काटने के लिए किसानों को सरकारी वाहन से उनके खेतों पर भेजने की व्यवस्था की गई है। प्रशासन की इस सख्ती का परिणाम यह है कि अभी तक इस जिले में एक भी मरीज कोरोना पॉजीटिव नहीं मिला। इस जिले से होकर दूसरे जिलों में जाने वाले श्रमिकों व अन्य लोगों के लिए प्रशासन ने सीमा पर उनकी स्क्रीनिंग, भोजन पानी और वाहनों से उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था की है।
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