बता दें कि पिछले दो साल खाद व यूरिया को लेकर किसानों को अच्छी परेशानी झेलनी पड़ी थी। एक तो खाद की किल्लत रही दूसरे इसके वितरण की प्रक्रिया में कई खामियां रहीं। ऐसे में किसान अभी से परेशान हैं कि कहीं इस बार भी खाद व यूरिया का संकट हुआ तो उनका क्या होगा? पिछले सालों की दिक्कत के मद्देनजर किसान सीमित क्षेत्र में ही मटर की बोआई करने का मन बनाए हैं ताकि खाद व यूरिया सीमित मात्रा में भी मिले तो काम बन जाए।
उधर कृषि विशेषज्ञ इसे तकनीकी रूप से गलत मानते है। उनका कहना है कि मटर की बोवाई के बाद यूरिया का इस तरह छिड़काव होना फसल को नुकसान का कारण बन सकता है। माना जा रहा है कि जिले में दशहरा के बाद से चना, मसूर, मटर की बोवाई शुरू हो जाती है। साथ ही किसान गन्ने की फसल के लिए भी तैयारी शुरू कर देते हैं। इससे यूरिया-डीएपी सहित अन्य खादों की मांग बढ़नी तय है।
ऐसे में किसानों को मांग के अनुसार भरपूर यूरिया-डीएपी उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है, ताकि किसानों को बोवाई के समय पर्याप्त मात्रा में यूरिया-डीएपी मिल सके। साथ ही जैसे-जैसे किसानों की मांग बढ़ेगी उसके अनुसार खाद उपलब्ध कराने के लिए और भी रैक बुलाई जाएगी। खाद-यूरिया आदि के वितरण में किसी तरह की दिक्कत न हो, कहीं से अनियमितता की शिकायत न आए इसके लिए भी विभाग तैयारी कर रहा है। अनियमितता पर अंकुश को विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को कड़ी नजर रखने को कहा गया है।
कृषि विभाग का दावा है कि वर्तमान में जिले में सभी प्रकार के खाद का पर्याप्त स्टॉक है। विभाग के अनुसार 3200 मीट्रिक टन यूरिया, 1800 मीट्रिक टन डीएपी, 3 हजार टन सिंगल सुपरफास्ट, 451 मीट्रिक टन पोटाश, 100 टन एनपीके खाद उपलब्ध है। सभी समितियों और डबल लॉक केंद्रो में भी खाद की उपलब्धता है।
“जिले में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। किसानों को समय पर बिना किसी परेशानी के खाद उपलब्ध हो इसके लिए व्यवस्था की जा रही है।”-राजेश त्रिपाठी, उपसंचालक कृषि