साल भर में नहीं जुटा पाए जरूरी सुविधाएं, मरीज बढ़े तो बढ़ी समस्या

मरीजों के अनुपात में न केवल डॉक्टर कम हैं बल्कि जरूरी सुविधाएं भी कम पडऩे लगी हैं। लिहाजा कई मरीजों को ठीक से उपचार नहीं मिल पा रहा।

<p>narsinghpur</p>
नरसिंहपुर. कोरोना महामारी शुरू हुए पूरा एक साल हो गया है लेकिन पूरे एक साल में जिला प्रशासन, अस्पताल प्रबंधन, जन प्रतिनिध कोरोना मरीजोंं के उपचार के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं जुटा सका। जिसका परिणाम सामने है। अब अचानक मरीज बढऩे से अस्पतालों पर जो दबाव पड़ा है उससे मरीजों के अनुपात में न केवल डॉक्टर कम हैं बल्कि जरूरी सुविधाएं भी कम पडऩे लगी हैं। लिहाजा कई मरीजों को ठीक से उपचार नहीं मिल पा रहा। जन प्रतिनिधियों ने अपनी मद से कोरोना मरीजों के उपचार के लिए काफी धनराशि दी पर इस बात का कोई हिसाब नहीं लिया कि उस राशि से उपकरण या जरूरी सामग्री मंगाई गई या नहीं। जिसके फलस्वरूप अधिकारियों ने मनमाने तरीके से काम किया और हालात यह हैं कि कोरोना मरीजों के फेफड़ों व अन्य जांचों के लिए एक साल बाद भी जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है न ही ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था हो सकी है।
12963014रुपए मिला दान फिर नहीं हुआ काम
जन प्रतिनिधियों और आम आदमी ने कोरोना से निपटने के लिए १,२९,६३,०१४ रुपए की राशि कोरोना आपदा प्रबंधन कोष के लिए दान दी। इतनी राशि मिलने के बाद भी जिला अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए सुविधाओं का टोटा है। हालात यह हैं कि मरीजों को भर्ती करने के लिए पलंग खाली नहीं हैं इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल भर में अस्पताल प्रबंधन ने क्या तैयारी की। कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए रखने के लिए एक साल पहले इस जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात की गई थी पर न तो जन प्रतिनिधियों ने इस पर ध्यान दिया और न प्रशासन ने।
अब ऑक्सीजन का संकट गहराया
जिला अस्पताल में क्षमता से ज्यादा कोरोना मरीज आने की वजह से स्थितियां जटिल हो गई हैं। हालात यह हो गए हैं कि ऑक्सीजन बेड फुल हैं और इनके लिए भी अब ऑक्सीजन का संकट गहराने लगा है। जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई में बाधा आने की वजह से करेली और गोटेगांव से ऑक्सीजन के सिलेंडर मंगाए गए। जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमित एवं संदिग्ध, ऑपरेशन व अन्य सामान्य मरीजों पर हर मिनट करीब 10 लीटर कृत्रिम सांस यानी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। जिला अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए स्थापित आइसीयू के अलावा सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सिस्टम से जुड़े बिस्तरों पर संक्रमितों के साथ साथ संदिग्ध मरीजों को भी गंभीर हालत में भर्ती किया गया है। इन मरीजों को कृत्रिम सांस के रूप से लगातार ऑक्सीजन देनी पड़ रही है जिसके परिणामस्वरूप जिला अस्पताल में रोजाना 350 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ रही है। प्रत्येक सिलेंडर में 45 लीटर ऑक्सीजन होती है। इस हिसाब से 24 घंटे में करीब साढ़े 15 हजार 750 लीटर ऑक्सीजन की खपत हो रही है। प्रति घंटा ६५० लीटर व प्रति मिनट करीब 10 लीटर ऑक्सीजन खपत हो रही है। जानकारी के अनुसार आइसीयू में प्रति मिनट 25 लीटर व 94 फीसद से नीचे ऑक्सीजन लेवल वालों को 5 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन देनी पड़ रही है। कोविड मरीजों के लिए रोज करीब 300 सिलेंडर की जरूरत है। जबकि 50 सिलेंडर अन्य मरीजों, ऑपरेशन थिएटर में उपयोग हो रहे हैं। इस समय जितने ऑक्सीजन सिलेंड रोज खर्च हो रहे हैं, सामान्य दिनों में पूरे माह में इनकी खपत होती थी। जानकारी के अनुसार २०० सिलेंडर सिंगरौली प्लांट से मंगाए गए हैं पर वहां से आने में समय लग रहा है। इसके अलावा पन्ना में लगे ऑक्सीजन प्लांट से भी सिलेंडर के लिए बात की गई है वहां से २० सिलेंडर मिलने का आश्वासन मिला है। एक हफ्ते पूर्व तक गंगई गाडरवारा स्थित प्लांट से आपूर्ति जारी थी। लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से मांग बढऩे से ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आने लगी।
तीस फीसदी ऑक्सीजन हो रही बर्बाद
सीएमएचओ डॉ.मुकेश जैन का कहना है कि उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई वार्डों में निरीक्षण के दौरान यह पाया है कि कई मरीज खुद ही ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ा देते हैं जिससे ३० फीसदी ऑक्सीजन बर्र्बाद चली जाती है।
वर्जन
ऑक्सीजन की खपत बढऩे से ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है सिलेंडरों की व्यवस्था की जा रही है फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है कि ऑक्सीजन पूरी तरह से खत्म हो गई हो। कुछ सिलेंडर रास्ते में हैं और समय रहते जिला अस्पताल को उपलब्ध हो जाएंगे।
डॉ.मुकेश जैन सीएमएचओ
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