Nagaur. पर्युषण पर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म का पूजन
नागौर. दिगंबर जैन समाज ने मंगलवार को तीर्थसुविधानाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों में श्रावकों ने भगवान को शक्कर निर्मित लड्डू अर्पित कर अर्चन किया। पर्युषण पर्व के पांचवे दिन उत्तम सत्य धर्म का पूजन किया गया। कार्यक्रम में प्रवचन करते हुए नथमल जैन ने सत्य को परिभाषित करते हुए कहा कि सत्य का संबंध ज्ञान व विवेक से होता है। इसे बोलने से पहले समझना, जानना ज्यादा आवश्यक है। सत्य बोले बिना भी काम चल सकता है, लेकिन सत्य जाने बिना काम नहीं चल सकता यही विवेक है। सत्य को जाने बिना बोला नहीं जा सकता है। भगवान महावीर जैसे तीर्थंकर महापुरुष सत्य में प्रवेश करते ही मौन हो गए, और बारह वर्ष तक नहीं बोले। इसी तरह मोक्षकारी बाहुबली बारह माह नहीं बोले। वह सत्य को जानने व समझने के बाद ही बोले थे। सत्य साधन नहीं, अपितु साधना है। वाचनिक सत्य तब तक असत्य की श्रेणी में ही रहता जब तक उस सत्य को जाना नहीं जाता है। जैन धर्म कहता है सत्य को जानना जरूरी है। पर्युषण पर्व के दस अंगों में भी सत्य होता है। ब्रह्म मनुष्य जीवन के भी दो छोर होते हैं। सत्य ही ब्रह्म है। सत्य के पश्चात शेष चार संयम,तप, त्याग और आकिंचन्य धर्म के पालन से ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यही जीवन का सार व सार्थकता है।