समझाइश के बाद भी सब्जियों में पेस्टीसाइड का प्रयोग कम नही

Nagaur. उद्यानिकी विभाग का दावा, विशेष तौर पर कार्यक्रम कर किसानों को समझाते हैं पेस्टीसाइड उपयोग की विधियां, किसानों ने अधिकारियों के दावों को नकारा

<p>The use of pesticide in vegetables is not reduced even after consultation.</p>

नागौर. जिले में सब्जियों का उत्पादन कुल खपत की अपेक्षा महज 10 से 15 प्रतिशत ही रहता है। इसमें भी विशेषकर कुचामन क्षेत्र में प्याज, थांवला क्षेत्र में फूलगोभी, मटर एवं गोभी आदि का होता है। सब्जियों में अस्सी प्रतिशत से ज्यादा सब्जियों की आपूर्ति बाहर से की जाती है। उद्यानिकी विभाग की माने तो उनकी ओर से तहसीलवार काश्तकारों को इस संबंध में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समझाने का प्रयास करते हैं। किसानों को बताया जाता है कि दुकानों से पेस्टीसाइड लिए जाने के बाद भी संबंधित विभाग के अधिकारी या कर्मी से उनके कार्यालयों में संपर्क कर ही इसका प्रयोग करें, ताकी उचित मात्रा में इसके प्रयोग होने पर दुष्प्रभावकारी स्थिति से बचा जा सके।इसके बाद भी पेस्टीसाइड के प्रयोग की स्थिति नगण्य होने के बजाय बढ़ी है। इधर काश्तकारों में मनोहरसिंह राठौड़, प्रभुराम, किसनाराम, केवलराम, दुलाराम, भगवानाराम, हनुमानाराम आदि से बातचीत हुई तो इनका कहना था कि चाहे कुचामन क्षेत्र हो या फिर नागौर! उद्यानिकी विभाग के अधिकारी व कर्मी ग्राम पंचायत स्तरीय कार्यालयों में मिलते ही नहीं हैं। किसान सेवा केन्द्रों में जाने पर भी इन लोगों से संपर्क नहीं हो पाता है। अब ऐसे में किसान भी दुकान से पेस्टीसाइड लिए जाने के बाद दुकानदार के बताए अनुसार उसका खेतों में प्रयोग कर लेते हैं। जबकि उद्यानिकी विभाग का कहना है कि ज्यादा उत्पादन एवं अच्छी फसल के साथ इसे बीमारियों से बचाने के चक्कर में मात्रा से अधिक पेस्टीसाइड का प्रयोग कर लिया जाता है। यही अधिकाधिक प्रयोग उपज के लिए कई बार घातक सिद्ध होता है। इसके लिए खुद किसानों को भी जागरुक होना पड़ेगा।

क्या कहते हैं उद्यानिकी अधिकारी….

.उद्यानिकी विभाग के कृषि अधिकारी अर्जुनराम मुडेल से बातचीत हुई तो कहा कि हालांकि नागौर जिला क्षेत्र में सब्जियों का उत्पादन औसतन बेहद कम कम होता है। फलों में अनार की स्थिति जरूर बेहद अच्छी है, और प्याज का उत्पादन भी यहां काफी बेहतर रहता है। थांवला क्षेत्र की गोभी आदि तो काफी प्रसिद्ध है। इसकी बुवाई के दौरान ही किसानों से सीजन के अनुसार बातचीत का कार्यक्रम किया जाता है। इसके अलावा विभाग की ओर से अधिकारी एवं कर्मचारी भी ग्राम पंचायतवार कार्यक्रमों का निर्धारण कर किसानें से मुलाकात कर जागरुक करने का प्रयास करते हैं। किसानों को आर्गनिक खेती करने के तरीके एवं इसके फायदे बताने के लिए विशेष तौर पर विभाग की ओर से कार्यक्रम निर्धारित कर सीधा किसानों से बातचीत की जाती है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.