यह है धार्मिक महात्म्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद वे कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को वापस जागते हैं। इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। उनके निद्राकाल के इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता। देवउठनी एकादशी से ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी का बेहद महत्व है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद वे कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को वापस जागते हैं। इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। उनके निद्राकाल के इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता। देवउठनी एकादशी से ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी का बेहद महत्व है।
अब खुली सावों की सीजन
लम्बे समय बाद सावों की सीजन रहने से आपाधापी मची हुई है। इतने दिनों तक वैवाहिक आयोजनों पर भी रोक थी। धार्मिक रूप से देवउठनी एकादशी के बाद सावों की सीजन खुल चुकी है। अब दिसम्बर माह में भी शादियां होंगी। ऐसे में लोग अभी से तैयारियों में जुटे हुए हैं।
लम्बे समय बाद सावों की सीजन रहने से आपाधापी मची हुई है। इतने दिनों तक वैवाहिक आयोजनों पर भी रोक थी। धार्मिक रूप से देवउठनी एकादशी के बाद सावों की सीजन खुल चुकी है। अब दिसम्बर माह में भी शादियां होंगी। ऐसे में लोग अभी से तैयारियों में जुटे हुए हैं।