कोरोना काल में उजड़े पार्क में मुस्कुराने लगे फूल

पूरे एक साल में बदली सूरत : दो जनों की मेहनत लाई रंग, रोजाना छह-छह घंटे श्रमदान लॉक डाउन के बीच सुकून के लिए प्रयास

<p>कोरोना काल में हरियाली बेमिसाल, उजड़े पार्क में मुस्कुराने लगे फूल</p>
नागौर. बगिया हरियाली से खिल गई तो फूल मुस्कुराते दिख रहे हैं। पेड़-पत्तों की खिलखिलाहट खुद-बखुद आने वाले लोगों का इस्तकबाल कर रही है। कतारबद्ध पौधों के आर-पार तक पसरी घास महंगे कालीन को मात कर देने वाली है। हवा के झोंकों के साथ मिलने वाली खुशबू भीतर ही नहीं बाहर से गुजर रहे राहगीरों को भी आनंद दे रही है।

यह हकीकत है जिद के साथ मजबूत हौसले से कोरोना काल के एक साल में हरा-भरा होने वाले उजाड़ पार्क की। रोजाना छह-छह घंटे बिना किसी फायदे के श्रमदान करने वाले दो कर्मवीरों की। इन्हीं की कोशिश ने हनुमान बाग के ब्लॉक नंबर दो स्थित पार्क की तस्वीर बदल डाली। कांकरिया स्कूल से वर्ष 2008 में व्याख्याता पद से रिटायर हुए राजाराम पूनिया और भवन निर्माण सामग्री का व्यवसाय करने वाले जयराम चौधरी के अथक परिश्रम ने यहां की वीरानी को कहकहों में तब्दील कर दिया।

ठीक एक साल पहले 24 जून को शिव विकास समिति की कार्यकारिणी का गठन हुआ। हर घर से 21-21 सौ रुपए एकत्र किए गए। उजाड़ पड़े इस पार्क की बाउण्ड्री की मरम्मत कराने से काम शुरू हुआ। राजाराम पूनिया बताते हैं कि सत्तर हजार रुपए से बाउण्ड्री के साथ लाइटिंग का काम कराया गया। बड़े पेड़ थे बस पार्क में, पूरी तरह उजाड़। फिर कुछ और पैसे एकत्र कर काम कराया गया। तत्कालीन सभापति मांगीलाल भाटी ने ट्रेक के साथ फव्वारा बनाया। अगस्त में छोटे पौधे और घास लगवाने के साथ उसकी देखभाल की जिम्मेदारी मैंने और जयराम ने संभाल ली।

सुबह पांच बजे से शुरुआत

राजाराम और जयराम ने बताया कि वे दोनों सुबह पांच बजे पार्क आ जाते हैं। एक घंटा टहलने के बाद घास को पानी देने के अलावा बड़े दरख्तों से गिरे पत्तों को समेटना, क्यारियों की संभाल के साथ और भी काम। सुबह तीन-चार घंटे तो शाम को भी लगभग इतना ही। जनसहयोग भी मिला तो परिषद ने भी थोड़ा काम कराया। एक साल पहले मन में यही अरमान था कि इस उजड़े चमन में बहार लाई जाए। अर्जुन मुण्डेल सहित कॉलोनी वासियों का सहयोग हमारे श्रम की ताकत रहा। थकान कभी नहीं लगी। पार्क में सौर ऊर्जा की लाइट परिषद ने लगवाई। सौ पौधे मंगवाए जो पेड़ की शक्ल लेने लगे हैं। रोजाना ट्रेक पर घूमने के साथ लोगों की आवाजाही काफी बढ़ गई है। परिषद ने बैंचें दी, फव्वारे के साथ ट्रेक और सौर ऊर्जा की लाइट। जनसहयोग भी मिला, हमने तो मेहनत के पसीने से इस हरियाली को सींचा है।
बाकी रह गया काम
पूनिया और चौधरी का कहना है कि ट्रेक के पास लाइटिंग के साथ फव्वारे का काम अभी बाकी है। इसके अलावा पार्क के बीच से जा रही हाईटेंशन लाइन को बगल की गली में स्थानांतरित करवाना है। विद्युत विभाग के अधिकारियों को कई बार इस बाबत कह दिया पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई। इसके साथ कुछ अन्य समस्याएं भी विभाग के साथ परिषद सहयोग करे तो दूर होंगी।
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