गौरतलब है कि गत दिनों खींवसर थानाधिकारी ने माणकपुर के पूर्व सरपंच को 50 ग्राम अफीम के साथ गिरफ्तार किया था, जिसके बाद पूर्व सरपंच की ओर से थानाधिकारी के खिलाफ डीजीपी के समक्ष शिकायत कर अफीम के मामले में झूठा फंसाने व साढ़े चार लाख रुपए लेने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद डीजीपी ने जांच विजिलेंस को सौंपी। शिकायत के दूसरे ही दिन विजिलेंस के एएसपी लालचंद नागौर पहुंचे तथा सदर थाने में एसआई केसरसिंह व आरोपी मुन्नालाल से पूछताछ की थी। सोमवार को एसपी धनखड़ द्वारा जारी किए गए आदेश में इस बात का उल्लेख किया गया कि केसरसिंह को मौखिक आदेश से पुलिस लाइन से खींवसर थानाधिकारी के पद पर अस्थाई रूप से लगाया गया था, अब चूंकि केसरसिंह के खिलाफ विजिलेंस की जांच चल रही है, इसे देखते हुए वापस लाइन में लगाया जाता है।
नरूका जैसे अधिकारी बिगाड़ते हैं पुलिस की छवि
कोरोना काल में पुलिस ने रात-दिन ड्यूटी देकर जिस प्रकार जनमानस की सेवा की, उससे पुलिस की छवि आमजन में काफी अच्छी बनी, लेकिन एसआई केसरसिंह नरूका जैसे पुलिस अधिकारी लोगों को झूठे मामले में फंसाकर न केवल निर्दोष लोगों को परेशान करते हैं, बल्कि पुलिस की छवि पर भी दाग लगाते हैं। नरूका ने पांचौड़ी थानाधिकारी रहते हुए भी शराब की अवैध ब्रांच चलाने के लिए एक लाख रुपए की मांग की थी।
– नारायण बेनीवाल, विधायक, खींवसर
कोरोना काल में पुलिस ने रात-दिन ड्यूटी देकर जिस प्रकार जनमानस की सेवा की, उससे पुलिस की छवि आमजन में काफी अच्छी बनी, लेकिन एसआई केसरसिंह नरूका जैसे पुलिस अधिकारी लोगों को झूठे मामले में फंसाकर न केवल निर्दोष लोगों को परेशान करते हैं, बल्कि पुलिस की छवि पर भी दाग लगाते हैं। नरूका ने पांचौड़ी थानाधिकारी रहते हुए भी शराब की अवैध ब्रांच चलाने के लिए एक लाख रुपए की मांग की थी।
– नारायण बेनीवाल, विधायक, खींवसर