कमेटी ने नदी क्षेत्र में अवैध खनन के निशान देखे और माना कि कृषि भूमि पर न केवल लीज गलत आवंटित हुई है, बल्कि इसकी जगह बजरी नदी क्षेत्र से ही निकाली जा रही है। तकरीबन पौने तीन घंटे तक रही सीईसी के सदस्यों ने खनिज विभाग के अधिकारियों का झूठ भी पकड़ा और बताया कि उनकी ओर से गलत किया गया है। सीईसी के एक भी सवाल के जवाब खनिज विभाग के अधिकारी नहीं दे पाए।
उल्लेखनीय है कि नवीन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्ट पिटीशन दाखिल कर रखी थी। पिटीशन पर ही १९ फरवरी को इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी गठित कर जांच के निर्देश दिए थे। चेयरमैन पी. वी. जयकिशन राव, मेंबर सेक्रेट्री अमरनाथ सेठी व मेंबर महेन्द्र व्यास रविवार को आलनियावास पहुंचे। यहां जिला कलक्टर सहित अन्य अधिकारियों ने टीम का स्वागत किया। आलनियावास में कृषि भूमि की एक लीज, जो ५० साल के लिए आवंटित हुई थी। इसमें हुई खुदाई की स्थिति को देखकर कमेटी ने पूछा कि एक ही साल में इतनी ज्यादा बजरी निकल गई है तो फिर अगले साल बजरी इसमें कहां से आएगी। आपने तो पचास साल की लीज दे रखी है।
इस सवाल का जवाब यहां पर मौजूद अजमेर एसएमएई गुरुबच्छाणी, अतिरिक्त निदेशक खनिज भगवान सिंह सोढा एवं रियाबड़ी एएमई महेश कुमार पुरोहित तक कोई नहीं दे पाए। लूणी नदी के एक कोने पर खनन से हुए बड़े गड्डे को देखकर कमेटी ने इसके बारे में पूछा तो बताया कि तीन साल पहले कोई खोद गया था इसे। इस पर कमेटी ने कहा कि तीन साल से अब तक यह गड्डा भरा नहीं जा सका, ताज्जुब है। इस सवाल का जवाब भी मौजूद कोई अधिकारी नहीं दे पाया। इस दौरान वहां आए गांव वालों ने भी खनन की स्थिति के बारे में बताया और राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबरों की कटिंग लगाकर ज्ञापन भी दिया।
हालांकि ग्रामीणों ने अन्य जगहों पर मसलन रोहिया, जीपिया एवं लूंगिया आदि के बारे में कमेटी को अवैध बजरी खनन की जानकारी दी, लेकिन खनिज विभाग की ओर से रास्ता खराब होने का हवाला दिए जाने के चलते फिर कमेटी के सदस्य उधर नहीं गए, लेकिन कमेटी सदस्यों ने इस बात के संकेत जरूर दिए कि विभाग ने न केवल कृषि भूमि पर गलत लीज का आवंटन किया, बल्कि बजरी खनन भी नदी क्षेत्र में ही किया जा रहा है।