NAGAURनदियां खोद दी और जिम्मेदार देखते रह गए

Nagaur news.प्रदेश की नदियों के पेटे में भीमकाय गड्ढे हो गए, लेकिन स्थानीय अधिकारियों को पता तक नहीं। बजरी खनन.नागौर की लूणी नदी का बदला भूगोल, जगह-जगह हुए गढ्ढे

<p>A picture showing the deterioration of illegal gravel mining in the Luni river of Nagaur</p>

नागौर. अवैध बजरी खनन करने वालों ने लूणी नदी का पूरा भूगौल ही बदल डाला है। अवैध रूप से बजरी खनन करने वालों ने कथित रूप से मिलीभगत के चलते अकेले लूणी नदी में किलोमीटर लंबे तीन बड़े विशायल गड्ढे बना दिए हैं। इनमें एक-एक गड्ढों की गहराई तकरीबन 50-50 फिट है। इनमें भी कई जगहों पर अवैध खनन पिट इस तरह बन गए हैं कि इनको देखने से भी डर का एहसास होने लगता है। इसके बाद भी प्रशासन को अभी नदी में अवैध खनन नजर नहीं आना आने से हास्यास्पद स्थिति बनने लगी है। नदी में तीन जगहों पर हुए बड़े-बड़े विशालकाय गड्ढों ने इसके पूरे स्वरूप को बदल कर रखने के साथ इसका चेहरा तो बदलने स्थिति यह हो गई है कि अब इसमें पानी आया भी तो नदी अपने प्राकृतिक स्वरूप में पहले की तरह प्रवाहवान रहेगी या नहीं, अब इस पर संशय होने लगा है। हालात बेहद ही खराब होने के बाद भी प्रशासनिक कार्रवाइयों में अभी केवल कुछ गाडिय़ां पकडकऱ जिम्मेदार अधिकारी अपनी वाहवाही करने में लगे हुए हैं।
खातेदारी भूमि में बजरी की खान स्वीकृत करवा कर नदी में अवैध बजरी खनन करने वाले खनन माफिया पर कार्यवाही करना खान विभाग की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। खान विभाग के आला अधिकारी कभी भी क्षेत्र में दौरा कर मौके पर कार्यवाही नहीं करते है। खान विभाग के अधिकारी अपनी मिलीभगत को छोड अगर अवैध बजरी खनन पर कार्यवाही की इच्छा रखता है तो राजस्थान पत्रिका उन जिम्मदारों को बजरी के अवैध खनन कर बनाए गए पिट का रास्ता दिखा रहा है, और उन स्थानों के कोर्डीनेट्स इस खबर के माध्यम से उन तक पहुंचा रहा है। इन कोर्डीनेट्स से खान विभाग एवं अवैध बजरी खनन को रोकने के सरकार द्वारा आदेशित जिम्मेदार जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी एवं तहसीलदार मौके पर पहुंच कार्यवाही कर सकते है। यह सब जिम्मेदार अधिकारीयों की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। राजस्थान पत्रिका के पास जसनगर , रोहीसा रोहीसी, कोड के पास नदी क्षेत्र में अवैध बजरी खनन के सैकड़ो विशाल खड्डों के कोर्डीनेट्स मोजूद है।
इन जगहों पर हालात बेहद हुए खराब
प्रशासन के जिम्मेदारों को न तो नागौर की लूणी नदी में अवैध खनन दिख रहा है, और न ही प्रदेश में अन्य जगहों पर नदी व इसके आसपास के क्षेत्रों में हुए खनन नजर आते हैं। जबकि पड़ताल के दौरान स्पष्ट तौर पर सामने आया कि बाड़मेर के सिणधरी में , कनाना , जेठान्तरी, बिठुजा, कित्नौद, कोटडी में -जालोर के रामपुरा में सिरोही के भीनमाल, रेवदर, पाली के जेतारान के फ़ूलमाल, आकोदिया, बिसलपुर, निम्बोज, झक- रोहट , असराइ, डूंगरपुर , मोहराई, निर्नाज, जोधपुर के कृशन खेड़ा ,भाकड़ी,डुडिया, लाखन तुम्बा,शिकारपुर, सवाई माधोपुर टोंक भीलवाड़ा राजसमंद ज़िले में पूरा अवैध बजरी खनन होता है नदी में। इसी तरह से बनास , लूनि , सुकडी , जवाई , खारी , सापी इन नदियों में होता है भारी अवैध खनन प्रशासन को बिलकुल नजर नहीं आ रहा है। इनमें से नागौर जिले के लूणी नदी की हालत तो बेहद खस्ता हो चुकी है। कई जगहों पर अवैध खनन कर्ताओं ने तो अपने वाहनों की आवाजाही के लिए रास्ते तक बना दिए हैं। इन्हीं बनाए हुए रास्तों से गाडिय़ां अवैध रूप से लदी बजरी सामाग्री लेकर गंतव्यों तक रवाना होती रहती हैं।

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