कृष्ण की दीवानी मीरा की धरा, सरकार की ‘कृपा’ को तरसी

धार्मिक पर्यटन की विपुल संभावनाओं के बावजूद अनदेखी का शिकार मेड़ता, पिछले तेरह साल में सोलह लाख से अधिक पर्यटक आ चुके मीरा की नगरी के दर्शन को

<p>धार्मिक पर्यटन की विपुल संभावनाओं के बावजूद अनदेखी का शिकार मेड़ता, पिछले तेरह साल में सोलह लाख से अधिक पर्यटक आ चुके मीरा की नगरी के दर्शन को </p>
नागौर . मेड़ता राजघराने में जन्मी भक्त शिरोमणि मीरा बाई की धरती सरकार की ‘कृपा’ को तरस रही है। पर्यटन की अपार संभावनाओं के बावजूद मेड़ता अनदेखी का शिकार है। पर्यटन की संभावनाओं का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले तेरह साल में सोलह लाख से अधिक पर्यटक मेड़ता का दीदार कर चुके हैं।
राजस्थान में चित्तौड़ के बाद मीरा बाई का मंदिर मेड़ता शहर में ही स्थित है। यहां उन्हीं भगवान चारभुजा नाथ की प्रतिमा के सामने मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है, जिनकी वो पूजा किया करती थी। इसीलिए यहां हर साल हजारों की तादाद में पर्यटक भगवान चारभुजा नाथ व मीरा बाई के दर्शन को पहुंचते हैं। लेकिन तीर्थराज पुष्कर के नजदीक होने के बावजूद मेड़ता अलग-थलग सा है। दर्द इस बात का है कि आजादी के दशकों बाद भी न तो मेड़ता शहर राजस्थान में पर्यटन स्थल के रूप में उभर सका और ना ही सरकार ने यहां सुविधाओं को विस्तार दिया।
पर्यटक बढ़े, सुविधाएं नहीं
4 अक्टूबर 2008 को मेड़ता में मीरा स्मारक के निर्माण के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से मीराबाई का पैनोरमा बनने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ौतरी हुई। पर्यटकों का रेकॉर्ड संधारण शुरू हुआ। शुरुआत में यहां सालाना ९० हजार से एक लाख के बीच पर्यटक आते थे। जबकि पिछले छह साल में यह आंकड़ा डेढ लाख के पार पहुंच गया है।
पर्यटन विभाग के कैलेंडर में नहीं मीरा महोत्सव
मेड़ता शहर में मीरा महोत्सव समिति के तत्वावधान में हर वर्ष श्रावण शुक्ल छठ से तेरस तक ‘मीरा महोत्सव’ मनाया जाता है। इस वर्ष 14 से 21 अगस्त तक यह मनाया गया। इस दौरान अलग-अलग धार्मिक आयोजन होते हैं। प्रसिद्ध संगीतकार व गायक रविंद्र जैन, अनूप जलोटा, सतीश देहरा, कविता पौडवाल सहित कई कलाकारों की इसमें प्रस्तुतियां हो चुकी। लेकिन हैरत की बात यह है कि पर्यटन विभाग ने इसे अपने कैलेंडर में शामिल नहीं किया। जिससे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों की सूचि में मेड़ता का नाम शामिल नहीं हो सका।
संभावनाएं और चुनौतियां
1. मेड़ता प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर एवं बीकानेर पर्यटन स्थलों के नजदीक है। इन दोनों ही स्थलों पर पहुंचने वाले ज्यादातर सैलानी मेड़ता तक नहीं पहुंच पा रहे। जबकि बीकानेर, पुष्कर जाने वाले पर्यटक मेड़ता से होते हुए ही निकलते है।
2. पर्यटकों के मन भावन स्थल जैसलमेर व सूर्यनगरी जोधपुर भी मेड़ता सडक़ मार्ग से जुड़े हैं। पुष्कर से इन स्थलों पर जाने वाले सैलानी भी मेड़ता सिटी होकर ही गुजरते है। महज पचास किमी दूर पुष्कर तक आने वाले पर्यटक मेड़ता नहीं पहुंच पा रहे हैं।
3. दशकों पूर्व बना आरटीडीसी का भवन आज तक शुरू नहीं हो पाया, अगर यह चालू होता है तो पुष्कर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर जाने वाले सैलानियों का इस मिड-वे पर ठहराव होने के दौरान यह मीरा से जुड़े स्थलों का भी अवलोकन कर सकते है।
4. मेड़ता-पुष्कर रेल लाइन का कार्य बीच में अटक जाने से मेड़ता में पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है।

कोरोना का असर पयर्टन पर
वैश्विक महामारी कोरोना से मेड़ता के पर्यटन पर भी गहरा असर पड़ा। विभिन्न धार्मिक एवं पर्यटन स्थल बंद रहने से वर्ष २०२० में मात्र २९ हजार ३२४ पर्यटक ही मेड़ता दर्शन को पहुंचे। इस साल अप्रेल और मई में तो मीरा स्मारक और चारभुजा मंदिर सभी के लिए बंद रहे।
क्या कहते हैं अधिकारी- जनप्रतिनिधि

भक्त शिरोमणि मीरा बाई की नगरी मेड़ता का राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारत और विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। यह पुष्कर से कहीं कम नहीं। केंद्र व राज्य सरकार यहां के धार्मिक महत्व को देखते हुए विशेष बजट स्वीकृत कर कार्य कराने चाहिए।
– इंदिरा देवी बावरी, विधायक मेड़ता
मेड़ता में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए इस बार 18 व 19 अक्टूबर को दो दिवसीय मीरा शरद महोत्सव का आयोजन करवाया जा रहा है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रम करवाए जाएंगे। इसके बाद राज्य सरकार के अधिकृत मेलों की सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजेंगे। राज्य के मेलों की सूची में नाम दर्ज होने के बाद सरकार से बजट मिलना शुरू हो जाएगा।
– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, नागौर


मेड़ता शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पवित्र कुंडल सरोवर पर करोड़ों रुपए के कार्य प्रस्तावित है। यहां प्रतिवर्ष 1 करोड़ रुपए से विकास के कार्य करवाए जाएंगे, यानी 5 साल में 5 करोड़ रुपए कुंडल सरोवर पर कार्य होंगे।
– गौतम टाक, पालिकाध्यक्ष, मेड़ता शहर
मेड़ता में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं। मीरा शरद महोत्सव जैसे कार्यक्रम होंगे। मेड़ता को पर्यटन के लिहाज से विश्व के मानचित्र पर अंकित करने का कार्य करेंगे। पुरातत्व विभाग के सहयोग से शहर की पुरा संपदाओं का रिनोवेशन होगा। महत्वपूर्ण स्थलों पर पहुंचने के साधन, जनता को आकर्षित करने, प्रचार-प्रसार आदि के कार्य कर रहे हैं। एक सर्किट स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि पर्यटक यहां पहुंचे। आईटीडीसी व आरटीडीसी के सौजन्य से ऐसे कार्यक्रम होंगे जिससे मेड़ता में पर्यटन को लेकर जनता आकर्षित हो।
– शैतान सिंह, राजपुरोाहित, उपखंड अधिकारी एवं अध्यक्ष पर्यटन उप समिति, मेड़ता

मेड़ता के इतिहास की छोटी बुकलेट तैयार होनी चाहिए, जिसमें सभी तरह की जानकारी हो। एक बेवसाइट डवलप हो। मालकोट, डांगोलाई, कृषि विभाग कार्यालय के युद्ध स्मारकों का रख-रखाव और उस पर हिंदी, अंग्रेजी में जानकारी, रावदूदा की छत्री का जीर्णोद्धार होना जरूरी है। भक्ति सर्किट विकसित हो सकता है। जिसमें रेण, चतुरदास मंदिर बुटाटी व खेड़ापा सहित स्थानों को शामिल कर सकते हैं। पर्यटन को लेकर सालाना मेड़ता यात्रा का आयोजन हो। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मेड़ता को रेल मार्ग से भी जोडऩा जरूरी है।
– हरेंद्र सिंह जोधा, लंदन प्रवासी उद्यमी
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