आनंदपाल की तरह ही लेडी डॉन को ढूंढती रही पुलिस, इसलिए सुराग मिलने के बाद भी नहीं आ पाई हाथ

-अनुराधा की तलाश की प्लानिंग रही सुस्त-पुराने तौर-तरीकों पर ही चलती रही पुलिस

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नागौर. गैंगस्टर आनंदपाल को दबोचने में नागौर ही नहीं पूरे राजस्थान की पुलिस लगी रही। यहां तक की बाहरी राज्यों की पुलिस की मदद भी ली, लेकिन हत्थे भी चढ़ा तो करीब दो साल का वक्त लग गया। कमोबेश लेडी डॉन अनुराधा की तलाश भी अपनी पुलिस ने उसी तर्ज पर की। टीमें गठित कर उसकी तलाश में यहां-वहां हाथ-पांव तो मारती रही, लेकिन प्लानिंग आनंदपाल की तरह लचीली और बिना दिशा के रही।
उसको पकडऩे के लिए सीकर-नागौर पुलिस की संयुक्त टीमें भी बनीं, इस ऑपरेशन में एसओजी ही नहीं जयपुर कमिश्नरेट टीम को भी शामिल किया गया, लेकिन सब धरा रह गया। गैंगस्टर काला जठेड़ी के साथ उसे यूपी के सहारनपुर में दिल्ली पुलिस ने पकड़ा। लेडी डान अनुराधा की गिरफ्तारी के लिए इनाम बढ़ा पर उसको पकडऩे में फेल रही राजस्थान पुलिस कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। शुरुआती दौर में फौरी तौर पर गठित टीमें जिले से बाहर तक कूच नहीं कर पाई। नागौर-शेखावटी इलाके तक ही उसकी तलाश को सीमित रखा।
सूत्र बताते हैं कि अनुराधा की तलाश में राजस्थान पुलिस करीब एक साल से खाक छान रही थी। तकरीब एक साल पहले कुचामन सिटी में जबरन रंगदारी वसूलने का मामला उसके खिलाफ दर्ज हुआ था। लेडी डान की तलाश की प्लानिंग भी गैंगस्टर आनंदपाल की तरह रही। मजे की बात है कि पुलिस कुछ सुराग पर काम करने के बाद भले ही असफल हो गई हो पर टारगेट की राह उसने वही बनाए रखी। लेडी डान अनुराधा को आनंदपाल के ढेर हो जाने के बाद पुलिस ने हल्के बदमाशों पर सख्ती की तो कुछ महीनों बाद पुलिस निश्चिंत हो गई। आनंदपाल के गुर्गे बाद में अपराध की कमान संभालेंगे, पुलिस ने यह सब सोचा ही नहीं। बताया जाता है कि आनंदपाल की तलाश में 21 माह के भीतर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहे। समय पर पुलिस चेती होती और नजर रखती तो लेडी डॉन को इस तरह नहीं ढूंढना पड़ता। लेडी डान के दिल्ली अथवा उसके आसपास छिपे होने की सूचना यहां की पुलिस को भी मिलती रही पर प्लानिंग सटीक नहीं होने से यहां की पुलिस के कुछ हाथ नहीं लग पाया। यहां तक कि लेडी डॉन तकरीबन आधा दर्जन गुर्गे अभी तक पुलिस के हाथ नहीं आए। टीमें तो उसकी तलाश में कई बनीं पर मिले क्लू पर सही ढंग से काम नहीं हो पाया।
दातार से मिला सुराग भी नहीं लगा पाया बेड़ा पार
करीब चार-पांच महीने पहले डीडवाना का दातार सिंह पुलिस हत्थे चढ़ा, तब पुलिस को अनु तक पहुंचने की मंजिल पास नजर आने लगी। दातार के जरिए लेडी डॉन का जठेड़ी के साथ रहने का सुराग भी मिल गया था, लेकिन बताते हैं कि राय-मशविरा, प्लानिंग-आदेश की प्रतीक्षा में ही समय निकल गया। कहा जाता है कि पुलिस की टीमों में समन्वय नहीं हो पाया या फिर दातार की बात को ही पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया, इसलिए जठेड़ी तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं की गई। और तो और जठेड़ी के गुर्गे राजस्थान में अपराध करते रहे, उनमें से कुछ पकड़े भी गए पर लेडी डॉन को लेकर मिली जानकारी को संबंधित पुलिस अफसरों से गंभीरता से नहीं लिया।
लेडी डॉन के साथ विक्की का नाम
इन बदमाशों से मिली थी कि कुचामन सिटी में हुई फायरिंग समेत कई वारदात अनुराधा व रुपेन्द्र पाल सिंह उर्फ विक्की के कहने पर हुई थी। ये शातिर आनन्दपालसिंह व रूपेन्द्रपाल गैंग की मुख्य सरगना लेडी डॉन अनुराधा चौधरी के इशारे पर हथियारों के दम पर लूट, डकैती, दहशत फैलाना व हथियारों को जोधपुर, जयपुर, चुरू आदि अन्य जिलों में पहुंचाने का काम करते थे।कुचामनसिटी में सट्टा कारोबारी के यहां हुई फायरिंग से पहले दो बार और इससे फिरौती लेने की कोशिश हुई थी। लक्ष्मण सिंह अनुराधा का खास गुर्गा है। वह सट्टा कारोबारी से फिरौती लेने आया, लेकिन प्लान असफल रहा। इसके बाद 27 दिसंबर2019 को लक्ष्मणसिंह, मूलसिंह, नरेन्द्रसिंह व विक्रमसिंह कुचामन सिटी में सट्टा व्यापारी के घर पर पेट्रोल बम फैंकने के प्लान से आए, लेकिन रात्रि का समय होने के कारण वारदात को अंजाम देने में असफ ल रहे। इसके बाद लेडी डॉन अनुराधा चौधरी ने प्रकाश व मूलसिंह को फ ोन कर चार जनवरी को कुचामन में सट्टा व्यापारी के घर पर फ ायरिंग करने का कहकर दातारसिंह को भेजकर कुचामन में हथियार पहुंचाए। जिस पर प्रकाश, शिवराज व मूलसिंह ने चार जनवरी की शाम कुचामन सिटी में सट्टा व्यापारी के घर पर फ ायरिंग की।
शेयर मार्केट में डूबा पैसा तो अपराध में कूदी
फ र्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली अनुराधा अपनी प्रभावशाली शख्सियत के दम पर ही आनंदपाल के करीब आई थी। दरअसल अनुराधा ने शेयर बाजार में रकम निवेश करने के साथ अपने काम की शुरूआत की थी। शेयर मार्केट में काफ ी पैसा डूबने के बाद उस पर काफ ी कर्ज चढ़ गया। पैसों की तंगी के बाद अनुराधा चौधरी गैंगस्टर आनंदपाल के गैंग में शामिल हुई। उसके बाद उसने फिरौती-अपहरण समेत कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया। जून 2006 को बहुचर्चित जीवणराम गोदारा हत्याकांड घटना के मुख्य गवाह प्रमोद चौधरी के भाई इंद्रचंद के अपहरण मामले में पुलिस को अनुराधा तलाश थी, जिसे वर्ष 2016 में जयपुर से गिरफ्तार किया गया था। बताया तो यह जाता है कि आनंदपाल गैंग के कोर्ट-कचहरी से लेकर अपराध की प्लानिंग का जिम्मा भी अनुराधा ही संभालती थी।
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