बसों ने ज्यादा डीजल फूंका तो भुगतेगा चालक या बदलेगा पार्ट

चालक की गलती है तो ड्यूटी बदली जाएगी और बस की खराबी है तो कमी दूर करेंगे, रोडवेज बसों को चाक चौबंद बनाने की कवायद, यात्रियों को आकर्षित करने के लिए दी जाएगी बेहतर सुविधाएं

<p>बसों ने ज्यादा डीजल फूंका तो भुगतेगा चालक या बदलेगा पार्ट</p>
नागौर. रोडवेज बसों में डीजल की ज्यादा खपत हुई तो चालक पर गाज गिरेगी। बसों को चाक-चौबंद बनाने के लिए रोडवेज प्रबंधन ने यह निर्णय किया है। इसके तहतजिस भी बस का डीजल औसत पांच किलोमीटर प्रतिलीटर से कम है उस बस के चालक को बदला जाएगा। बस की खराबी के कारण यह हो रहा है तो चालक की ओर से बताई गई कर्मी को दूर कर पार्ट्स बदलने की कवायद भी की जाएगी। प्रबंधन का मानना है कि डीजल की ज्यादा खपत बस की कार्यशैली को प्रभावित करती है और इससे यात्री परेशान होते हैं। यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिहाज से डीजल खपत को आधार माना गया है। बसों की खराबी दूर कर डीजल औसत का आकलन किया जाएगा एवं औसत में बढ़ोतरी के प्रयास होंगे, ताकि यात्रियों को सहूलियत मिल सके।
समन्वय में कमी से बिगड़ रही व्यवस्था
रोडवेज बसों की खराबी और समय पर मरम्मत नहीं होने के पीछे विभागीय कार्मिकों की उदासीनता भी प्रमुख कारण है। केन्द्रीय कार्यशाला, केन्द्रीय भण्डार व आगार कार्यशाला के बीच परस्पर समन्वय की कमी है, जिससे बसों की मरम्मत नहीं हो पाती और दिनोंदिन खटारा होती जा रही है। इससे राजस्व वसूली पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कांफ्रेंसिंग के दौरान समन्वय की कमी सामने आई तो सीएमएडी बिगड़ गए तथा नाराजगी जताई। उन्होंने समन्वय स्थापित कर बेहतर काम करने को निर्देशित किया।
तकनीकी खराबी सुधारने के निर्देश
रोडवेज प्रबंधन ने 26 आगारों के यांत्रिक संवर्ग अधिकारियों के साथ इस सम्बंध में वीडियो कांफ्रेंसिंग की। इसमें सीएमडी नवीन जैन ने कहा कि बसों में खामियों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कार्यशाला में जांच के दौरान बसों के ईंजन एवं अन्य तकनीकी खामियों पर भी पूरा ध्यान देने की बात कही, ताकि खराबी के कारण रोडवेज बस दुर्घटनाग्रस्त न हो।
कम संचालन का भी फायदा उठाएं
महामारी के दौर में बसों का संचालन कम हो रहा है, जिसका फायदा उठाने के भी निर्देश दिए गए हैं। सीएमडी बताते हैं कि बसों का कम संचालन होने से लाभ उठाते हुए बसों को आकर्षक व आरामदायक बनाया जाएं, जिससे यात्रियों को रोडवेज के प्रति आकर्षित किया जा सके। इससे यात्रियों को बस में बैठने के बाद अच्छा महसूस होगा तथा यात्री भार में वृद्धि होगी।
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