खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल ने विधानसभा में कहा – बजट घोषणाएं पूरी भी करे सरकार

विधानसभा में विधायक ने नागौर के लिए कई मांगें की तो पूर्व की घोषणाओं की तरफ ध्यान भी दिलाया

<p>Narayan Beniwal said &#8216;Hanuman&#8217; to &#8216;Ram&#8217;</p>
नागौर. खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल ने सोमवार को बजट सत्र की चर्चा में भाग लेते हुए ‘आय-व्ययक अनुमान वर्ष 2021-22’ पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। विधायक ने कहा कि राज्य बजट प्रदेश सरकार का एक वर्ष का विजन डॉक्यूमेंट होता है। वित्तीय प्रबंधन कौशल और सूझबूझ से तैयार किया गया बजट राज्य के विकास को सही दिशा दे सकता है, इससे उन्नति के नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं और सच्चे अर्थों में लोक कल्याणकारी जनतांत्रिक शासन व्यवस्था लागू की जा सकती है, लेकिन दुर्भाग्यवंश हमारे प्रदेश में ऐसा होता नहीं है। चाहे जिस पार्टी की सरकार हो, बजट के नाम पर आंकड़ों का भ्रमजाल फैला कर जनता को बहलाना ही इनका लक्ष्य रहता है। चुनावी घोषणा पत्रों की ही तरह इनके द्वारा प्रस्तुत बजट भी झूठ का पुलिंदा ही होता आया है। साल दर साल प्रस्तुत बजटों में की गयी घोषणाओं का लेखा जोखा लिया जाए तो आसानी से स्पष्ट होता है कि ये सरकारें बजट को मात्र रस्म अदायगी ही मानती है। घोषणाओं, योजनाओं की क्रियान्विति से इन्हें कोई सरोकार नहीं होता। हर वर्ष बजट का 60 प्रतिशत से भी कम हिस्सा ही खर्च होना हमारे वित्तीय कुप्रबंधन को दर्शाता है। वित्तीय संसाधनों के बिना बजट घोषणाओं का अंबार लगा दिया जाता है। आय बढ़ाने के लिए कोई ठोस नीति नहीं होती। जब तक कृषि, पशुपालन और घरेलू, कुटीर, छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों को समुचित महत्व और संरक्षण नहीं दिया जाएगा, तब स्वस्थ, सुखी, विकसित राजस्थान के निर्माण का सपना सच होना असम्भव है।
विधायक ने कहा कि चिकित्सा विभाग में भी सरकार ने घोषणाएं की है, लेकिन पूर्ण स्टाफ नहीं होने से चिकित्सा व्यवस्थाएं चला पाना मुश्किल है। सदन के माध्यम से मांग की, कि चिकित्सा व्यवस्था सुधार के लिए विभागीय पद मेडिकल प्रोफेसर, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ (नर्स, कम्पाउण्डर, लैब टेक्नीशियन) सहित सारे रिक्त पदों पर नियुक्तियां दें। साथ ही संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए, क्योंकि जब तक जॉब सिक्योरेटी और जॉब सेटिस्फेक्शन को केन्द्र बिन्दु नहीं समझेंगे, तब तक किसी भी कर्मचारी की कार्यक्षमता का पूर्ण लाभ हम नहीं ले सकते।
सरकार निरोगी राजस्थान की बात कर रही है लेकिन अस्तपाल स्ंवय गम्भीर रूप से घायल है। नागौर जिले में चिकित्सा सुधार हेतु सदन के माध्यम से मांग करी कि खींवसर सीएचसी में अत्याधुनिक ट्रोमा सेन्टर , सबसे पुरानी पीएचसी संखवास को सीएचसी में क्रमोन्नत, खरनाल, जनाणा, शिलगांव व करणू स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र को पीएचसी में क्रमोन्नत हो व जिला स्तर पर पुराने अस्पताल को सेटेलाईट अस्पताल एवं जेएलएन में उपरी मंजिल पर लिप्ट हो ओर 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा घोषित पांचलासिद्वा सीएचसी को मापदण्डानुसार संचालित हो एवं भवन रहित संस्थानों हेतु बजट जारी हो, प्रत्येक उपखण्ड मुख्यालय पर आयुर्वेद अस्पताल में पंचकर्म सेन्टर स्थापित हो, इलेक्ट्रोपैथी को बोर्ड गठन भी तुरन्त करवाने की मांग रखी।
विधायक ने कहा, इसी सरकार ने 19-20 के बजट में 1000 करोड़ के किसान कल्याण कोष, एक लाख युवाओं को एक-एक लाख रुपए स्वरोजगार हेतु देना, महिला सशक्तिकरण के लिए भी कोष बनाना, गोवंश संरक्षण हेतु जिला स्तर पर नन्दीशाला बनाने की योजना की घोषणा भाजपा सरकार के आखिरी बजट में थी इस सरकार ने 19-20 और 20-21 के बजट में उसे दोहराते हुए विस्तृत कर दिया और पंचायत समिति स्तर पर नन्दीशाला खोलने की घोषणा कर दी, आज पंचायत समिति स्तर की एक भी नन्दी शाला नहीं है. आधे से कम जिलों में ही अब तक नाम मात्र की नन्दीशाला बन पाई है।

कर्ज माफी करने के वादे का क्या हुआ?
इन योजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए शराब और रजिस्ट्री पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रावधान तो किया गया लेकिन योजनाएं वित्तीय कुप्रबन्धन की बलि चढ़ गई। जनता यह उम्मीद कर रही थी कि कोरोना काल में बढ़ी बेरोजगारी तथा चौपट हुए व्यवसाय को पटरी पर लाने के लिए सरकार कोई ना कोई बड़ा रोड मेप देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह लोकलुभावन बजट धरातल पर कैसे उतरेगा। यह बात समझ से परे है।
केवल घोषणाओं का अंबार लगाने से प्रदेश की जनता का भला नहीं होने वाला है। मुख्यमंत्री जी हर बजट भाषण में महात्मा गांधीजी का जिक्र करते हैं लेकिन यह परवाह नहीं करते कि बापू के नाम पर किए वादे पूरे भी हों। 10 दिनों में संपूर्ण कर्ज माफी करने के वादे का क्या हुआ? आम किसान 10 दिन में सम्पूर्ण ऋण माफी की उम्मीद लगाए बैठा था। कृषि प्रदान राज्य में किसान को बचाना आवश्यक है, सरकार किसानों छोटा-मोटा कर्जा माफ करके श्रेय बटोर रही है सम्पूर्ण कर्ज माफी के बिना किसानों का भला नहीं होने वाला है। सरकार की तानाशाही के कारण किसानो को सहकारी बैंको से अल्पकालीऩ ऋण भी मिलने बन्द हो गये है क्योंकि ओवर-ड्यू के नाम से पार्टल पर किसानों के खाते ब्लॉक कर दिये है, इसकी भी कोई निति तैयार करके ऋण वितरित करें।

आरपीएससी व कर्मचारी चयन बोर्ड पर प्रश्न चिह्न
विधायक ने राजस्थान लोक सेवा आयोग व राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड पर भी प्रश्न चिह्न लगाते हुए कहा की पेपर आउट हो जाते है एवं आउट करवा दिये जाते है इनमें कार्यरत अध्यक्ष व सदस्य भी नाकाम साबित हो रहे है, इससे बेरोजगार पर बहुत बुरा असर पड़ता है। विधायक ने कहा की सडक़ निर्माण के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है जो सराहनीय है, लेकिन मैं सदन के माध्यम से मांग करता हूं कि 5 करोड़ की जगह 15 या 20 करोड़ का प्रावधान हो ताकि सडक़ो की दशा सुधारी जा सके। डीएमएफटी फण्ड जो खनिज क्षेत्र से प्राप्त होता है उसका उपयोग केवल सिलिकोसिस पर खर्च किया जा रहा है उसको खनन प्रभावित क्षेत्र में सडक़ मार्ग पर खर्च किया जाना उचित रहेगा, क्योंकि खनन क्षेत्र में भारी वाहनों का आवागमन रहता है, इस क्रम में चावण्डिया से माडपुरा, षिवपुरा से भेड़ और माणकपुर से लालाप तक डीएमएफटी से सीसी सडक़ का निर्माण हो, इसके अलावा धार्मिक व पर्यटन स्थल को भी सडक़ो से जोडऩे का प्रावधान की मांग करी।
बिजली बिल व वीसीआर के नाम पर किसान को परेशान कर रहे
विधायक ने ऊर्जा मंत्री का ध्यान आकर्षित कर कहा कि प्रदेश में किसानों को बिजली बिल व वीसीआर के नाम पर परेशान किया जा रहा है, जबकि वर्तमान में उगाई गई फसलें पकने को तैयार है लेकिन विभागीय कर्मचारी बहुत परेशान कर रहे हैं जिनके भी बिल बकाया है उनके मार्च माह तक रोका जाए, ताकि फसलें निकालने पर किसान बिलों का भुगतान कर देगा। विभाग प्रत्येक व्यक्ति तक बिजली पहुंचाने की बात कर रहा है लेकिन विद्युत कनेक्शन के समय बहुत बड़ा डिमाण्ड जारी किया जा रहा है जिससे आम आदमी बिजली से वंचित रहे रहा है। बंूद-बूंद कृषि कनेक्शन धारियों को बिजली की आवश्यक ज्यादा रहती है परन्तु उनको भी नाममात्र 4-5 घण्टे ही बिजली मिल पाती है यदि बिजली कम तक है तो क्यों नहीं इनके कनेक्शन सामान्य कृषि कनेेक्शन में तब्दील करें ताकि बिजली बिलों का भार अधिक नहीं झेलना पड़े। खींवसर क्षेत्र बहुत बड़ा सिचिंत क्षेत्र है अधिक लोड व कनेक्शन के कारण दांतीणा और बिरलोका में 132 केवी जीएसएस एवं शिवपुरा, भोमासर, सोवों की ढाणी, हनुमानसागर, पाबूसागर, जसनाथपुरा और सियागों की ढाणी में 33/11 केवी के जीएसएस स्थापित किये जावें। विद्युत रख-रखाव व संचालन के लिए ठेका स्तर पर अप्रशिक्षित व्यक्यिों को काम पर लगा दिये जाते है जिससे कई व्यक्ति अपनी जान गंवा चुके है, इसलिए इनकी प्रभावी मॉनीटरिग हो ताकि सरकारी पैसो का सदुपयोग हो सके। एफआरटी, क्यूआरटी व ठेका पर संचालित जीएसएसो पर बहुत बड़ी अनियमिताऐं हो रही है जिसकी प्रभावी तरीके से जांच करवाने की मांग करता हूं।
बछड़ों के परिवहन की छूट मिले
कृषक एवं पशुपालकों के लिए सरकार संज्ञान लेकर बछड़ों के परिवहन के लिए प्रभावी व्यवस्था करे, जिससे पशुपालको एवं मेले मूल स्वरूप में लौट सके, पशुपालको के लिए पशुपालन ही मूल खेती है इनको बचाना आवश्यक है। कृषकों के लिए कृषि विभाग की तरफ से खोले जाने वाले कस्टम हॉयरिंग सेंटर जिनको ग्राम सेवा सहकारी संस्थाओं को दिए जाए, ताकि उनका प्रभावी संचालन हो सके। कृषकों के लिए नागौर जिले मात्र 150 से 200 कृषकों को ही कृषि यंत्र पर सब्सीडी दी गई, जो नग्णय है। सरकार से मांग की, कि प्रत्येक कृषि यंत्र पर सरलीकरण तरीके से सब्सीडी दी जाए, ताकि आम व्यक्ति को लाभ मिल सके।
विधायक ने कहा कि मेरे द्वारा पिछले सत्र में लगाए गए प्रश्न का जबाब मिला कि जो जवान हमारे लिए वर्ष 1962, 1965 व 1971 में शहीद हो गए, लेकिन उनके आश्रितों को आज तक अनुकंम्पा नियुक्ति, भूमि आंवटन व विद्यालय नामकरण नहीं हुआ है, सरकार से मांग की कि इस प्रकरण में तुरन्त संज्ञान लेकर पूर्ण करावें एवं आज तक लम्बित किन कारणों से रहे जांच करके दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही कराएं। विधायक ने कहा कि जब तक घर-घर नल कनेक्शन दिए जाएं, तब तक पूर्व में संचालित पेयजल स्कीमों को चालू रखें, ताकि आमजन को परेशानी नहीं हो। नागौर के हैण्ड टूल को प्रोत्साहन, कृषि उद्योगों को बढ़ावा, मैथी मण्डी की स्थापना, फूड प्रोसेगिंग पार्क की स्थापना की मांग करता हंू।
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